देश में 26000 टॉवर, फिरभी शेयर मात्र डेढ़ रुपए का; LIC और ICICI ने भी लगा रखा है पैसा, निवेश का है मौका?
जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (GTL Infra Share Price) के पास देशभर में 26000 से ज्यादा टॉवरों का नेटवर्क है। यह टेलीकॉम कंपनियों को टॉवर और उससे जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराती है। भारत के सभी 22 टेलीकॉम सर्किल्स में इसके टॉवर फैले हैं। कंपनी में LIC ICICI और बैंक ऑफ बड़ोदा जैसी बड़ी कंपनियों का पैसा लगा है। सवाल यह है कि इतनी बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी का शेयर इतना कमजोर क्यों है?

नई दिल्ली| भारत में टेलीकॉम सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और नेटवर्क कवरेज की मांग हर साल बढ़ रही है। लेकिन इसी बीच एक कंपनी है जिसके पास देशभर में 26,000 से ज्यादा टॉवर हैं, फिरभी उसका शेयर डेढ़ रुपए (GTL Infra Share Price) के आसपास कारोबार कर रहा है। इसका नाम है- जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड।
खास बात यह है कि इस कंपनी में LIC, ICICI और बैंक ऑफ बड़ोदा समेत कई बड़ी कंपनियों का भी पैसा लगा है। अब सवाल यह है कि इतनी बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी का शेयर इतना कमजोर क्यों है? चलिए जानते हैं पूरी कहानी।
क्या काम करती है कंपनी?
जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर 2004 में बनी थी। कंपनी का काम पासिव टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और एनर्जी मैनेजमेंट करना है। यानी कंपनी टेलीकॉम कंपनियों को टॉवर और उससे जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराती है।
भारत के सभी 22 टेलीकॉम सर्किल्स में इसके टॉवर फैले हैं। कंपनी लंबे समय के कॉन्ट्रैक्ट (5-10-15 साल) करती है और टेलीकॉम ऑपरेटर इन टॉवरों पर अपनी तकनीक लगाते हैं।
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क्या है बिजनेस मॉडल?
1896 करोड़ के मार्केट कैप वाली कंपनी खुद टॉवर बनाती और ऑपरेट करती है। टेलीकॉम कंपनियां इन टॉवरों को साझा करती हैं। इससे उन्हें खुद के टॉवर बनाने पर बड़ा खर्च नहीं करना पड़ता। जीटीएल एनर्जी मैनेजमेंट भी करती है, यानी टॉवरों पर लगातार बिजली सप्लाई बनाए रखती है।
फिर समस्या कहां है?
दरअसल, पिछले कुछ सालों में 14 टेलीकॉम कंपनियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया या बाहर निकल गईं। इसके चलते कंपनी को 14,000 से ज्यादा टॉवर छोड़ने पड़े, यानी आधे से ज्यादा पोर्टफोलियो खत्म हो गया। इन कंपनियों ने न तो किराया दिया और न ही टैक्स। नतीजा यह निकला कि कंपनी पर भारी कर्ज और लागत का बोझ आ गया।
लगातार घाटे में जा रही कंपनी
कंपनी अब तक करीब 1.53 लाख करोड़ रुपए का बकाया वसूलने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। इसके अलावा CBI ने अगस्त 2023 में कंपनी पर एफआईआर भी दर्ज की थी, जिससे कंपनी के भरोसे को और झटका लगा। जीटीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर पिछले कई सालों से भारी नुकसान झेल रही है। इसकी नेटवर्थ भी पूरी तरह घट चुकी है। यही वजह है कि शेयर बाजार में इसका भाव मात्र डेढ़ रुपए के आसपास है।
LIC के अलावा किस-किस का निवेश?
कंपनी में एलआईसी और आईसीआईसीआई ने निवेश कर रखा है। ये इसके सबसे बड़े सार्वजनिक शेयरहोल्डर में से एक हैं। कंपनी में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, और इंडियन ओवरसीज़ बैंक ने भी इन्वेस्ट कर रखा है। इसके अलावा, कुछ वित्तीय संस्थान, जैसे म्यूचुअल फंड और एसेट मैनेजमेंट कंपनियां भी इसमें निवेश करती हैं।
कैसा है शेयरों का प्रदर्शन?
मंगलवार को NSE पर कंपनी का शेयर 1.48 रुपए के लेवल पर ओपन हुआ और दिन में 1.52 रुपए तक पहुंचा। हालांकि, 1.49 रुपए पर बंद हुआ। दिनभर में इसमें 0.68 प्रतिशत की तेजी देखी गई। इसका 52 हफ्ते का हाई लेवल 2.72 रुपए और लो लेवल 1.28 रुपए है।
छह महीने में इसमें सिर्फ 3.47 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि यह सालभर में 42 फीसदी से ज्यादा का नुकसान करा चुका है। हालांकि, पिछले पांच साल में इसने 99 फीसदी की रिटर्न दिया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंपनी का बिजनेस मॉडल मजबूत है और 26 हजार टॉवर होना बड़ी बात है। लेकिन भारी कर्ज, पुराने विवाद और लगातार घाटे ने इसे डूबो दिया है। अगर कंपनी कानूनी लड़ाई जीतकर बकाया वसूल पाती है तो इसके निवेशकों का भरोसा लौट सकता है। साथ ही इसके शेयर उड़ान भर सकते हैं।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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