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    रिलायंस की तेजी भी नहीं रोक पाई बाजार में गिरावट, Nifty-Sensex अहम स्तरों से नीचे बंद, सबसे ज्यादा टूटे ये शेयर

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 03:47 PM (IST)

    एक दिन की छुट्टी के बाद 6 नवंबर को एक बार फिर से शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। Nifty50 87.95 अंकों की गिरावट के साथ 25509 पर क्लोज हुआ तो सेंसेक्स 146 प्वाइंट्स की कमजोरी के साथ बंद हुआ। सबसे ज्यादा गिरावट निफ्टी मीडिया और मेटल इंडेक्स में देखने को मिली, जो 2 से ढाई फीसदी तक टूटे।

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    6 नवंबर को सेंसेक्स गिरावट के साथ बंद

    नई दिल्ली। शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला 6 नवंबर को भी जारी रहा और निफ्टी वे सेंसेक्स लाल निशान के साथ बंद हुए। Nifty50 87.95 अंकों की गिरावट के साथ 25509 पर क्लोज हुआ तो सेंसेक्स 146 प्वाइंट्स की कमजोरी के साथ 83313 पर बंद हुआ। ऑटो और आईटी इंडेक्स को छोड़कर सभी सेक्टर में बिकवाली हावी रही। सबसे ज्यादा गिरावट निफ्टी मीडिया और मेटल इंडेक्स में देखने को मिली, जो 2 से ढाई फीसदी तक टूट गए।

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    निफ्टी के टॉप गेनर में एशियन पेंट्स, रिलायंस, अल्ट्राटेक सीमेंट, एम एंड एम और विप्रो रहे, जबकि टॉप लूजर में ग्रासिम, हिंडाल्को, अदाणी एंटरप्राइजेज, पावर ग्रिड और इटरनल रहे। बाजार में गिरावट की अहम वजहों में विदेशी निवेशकों की बिकवाली, डॉलर के 5 महीने के ऊंचाई पर होना और अहम सेक्टर्स में प्रॉफिट बुकिंग है।

    बाजार में बिकवाली के बड़े कारण

    विदेशी निवेशकों की बिकवाली: शेयर बाजार को सबसे ज्यादा परेशान विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) की बिकवाली ने किया है। मंगलवार को भी उन्होंने 1,067.01 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। 29 अक्टूबर के बाद से यह एफआईआई निकासी का लगातार पांचवां सेशन था, जिससे बाजार के सेंटिमेंट प्रभावित हुए हैं।

    चुनिंदा सेक्टर में मुनाफावसूली: बाजार में बैंकिंग, फाइनेंशियल और मेटल शेयरों समेत अन्य सेक्टर्स में मुनाफावसूली हावी है। डॉलर के मजबूत होने से निफ्टी मेटल इंडेक्स 2 प्रतिशत से अधिक गिर गया। डॉलर के मजबूत होने से आमतौर पर आयातकों के लिए डॉलर में मूल्यांकित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे माँग पर असर पड़ता है, और इसका सीधा प्रभाव मेटल कंपनियों पर होता है।

    5 महीने के उच्चतम स्तर के करीब डॉलर: अमेरिकी अर्थव्यवस्था और लेबर मार्केट को लेकर चिंताएं कम होने के बाद अमेरिकी डॉलर 5 महीने के उच्चतम स्तर पर है। ऐसे में मज़बूत डॉलर ने उभरते बाजारों की मुद्राओं और मेटल समेत उन वस्तुओं पर दबाव बढ़ा दिया है, जो ग्लोबल प्राइसिंग को लेकर संवेदनशील हैं।

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    (डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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