इंग्लैंड दौरे से करुण नायर को क्या सीख मिली? सीरीज खत्म होने के बाद बैटर ने खुद ही कर दिया खुलासा
इंग्लैंड के विरुद्ध पांच मैचों की सीरीज के दौरान लगातार अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में बदलने में विफल रहना करुण नायर के लिए निराशाजनक रहा। लगभग आठ साल बाद राष्ट्रीय टीम में वापसी करने वाले नायर ने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी की आठ पारियों में 25.62 के औसत से 205 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान इकलौता अर्धशतक (57 रन) द ओवल मैदान में जड़ा।

बेंगलुरु, पीटीआई: इंग्लैंड के विरुद्ध पांच मैचों की सीरीज के दौरान लगातार अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में बदलने में विफल रहना करुण नायर के लिए निराशाजनक रहा। लगभग आठ साल बाद राष्ट्रीय टीम में वापसी करने वाले नायर ने एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी की आठ पारियों में 25.62 के औसत से 205 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान इकलौता अर्धशतक (57 रन) द ओवल मैदान में जड़ा।
इंग्लैंड के खिलाफ बड़ा स्कोर बनाने में विफल रहने के बारे में पूछे जाने पर नायर ने कहा कि ऐसा नहीं था कि मैं कुछ साबित करने की कोशिश कर रहा था। आप जानते हैं, कभी-कभी ऐसा होता है कि आपको ज्यादातर मैचों में अच्छी शुरुआत मिलती है और फिर आप किसी तरह से आउट हो जाते हैं। हालांकि, शीर्ष क्रम का यह बल्लेबाज सुधार के लिए दृढ़ संकल्प है।
उन्होंने कहा कि मैं पूरी सीरीज में बहुत अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था और ज्यादातर मैचों में मुझे अच्छी शुरुआत मिल रही थी। मैं 30 और 40 के स्कोर तक पहुंच रहा था, लेकिन इसे बड़े स्कोर में नहीं बदल पा रहा था। यह मेरे लिए किसी और से ज्यादा निराशाजनक था। मैं इस बारे में सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा था और मैं 30-40 के स्कोर पर क्यों आउट हो रहा था।
नायर ने कहा कि मैंने इस पर विचार किया और यह समझा कि मुझे अपनी अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में बदलना सुनिश्चित करना होगा। मैंने इस बारे में बहुत से लोगों से बात की है और उन्होंने मुझे कुछ सुझाव दिए हैं। मैं जल्द ही उन पर काम करने जाऊंगा, ताकि अगली बार जब मुझे अच्छी शुरुआत मिले तो मैं उसे बड़े स्कोर में बदल सकूं।
हालांकि नायर उस युवा भारतीय टीम का हिस्सा बनकर काफी उत्साहित है जो पांच मैचों की बेहद प्रतिस्पर्धी सीरीज को 2-2 से बराबर करने में सफल रही। टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक जड़ने वाले केवल दूसरे भारतीय बल्लेबाज नायर ने कहा कि यह एक अद्भुत सीरीज थी। मेरे लिए इस अद्भुत टीम का हिस्सा होना गर्व की बात थी क्योंकि बहुत कम टीमें इंग्लैंड जाकर पांच टेस्ट मैचों में सीरीज बराबर कर पाई हैं। ऐसे में मुझे इस अद्भुत टीम का हिस्सा होने पर वाकई गर्व है।
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