पाकिस्तान क्रिकेट की इंटरनेशनल लेवल पर जबरदस्त बेइज्जती, कई मोर्चों पर फेल हुआ, न ICC झुका, न BCCI
पाकिस्तान क्रिकेट इस समय विवादों से घिरा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान क्रिकेट की जमकर किरकिरी हुई है। पीसीबी को एशिया कप 2025 में यूएई के खिलाफ अपने बायकॉट के फैसले को वापस लेना पड़ा। पीसीबी ने मैच रेफरी एंडी पायक्राफ्ट को हटाने की मांग को लेकर भारी ड्रामा किया लेकिन आईसीसी के सामने उसकी एक न चली। पाकिस्तान बड़े नुकसान से बचा।

अभिषेक त्रिपाठी, जागरण दुबई। आईसीसी के सख्त रुख के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को यूएई के विरुद्ध मुकाबले का 'बायकॉट' का फैसला वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। पीसीबी ने मैच रेफरी एंडी पायक्राफ्ट को हटाने की मांग को लेकर भारी ड्रामा किया, लेकिन आईसीसी के सामने उसकी एक न चली।
आईसीसी ने पीसीबी की कोई भी मांग नहीं मानी, जिसके बाद पीसीबी चेयरमैन मोहसिन नकवी ने पूर्व पीसीबी अध्यक्ष रमीज राजा और नजम सेठी के साथ पाकिस्तान में बैठक की। इसके अलावा कई पूर्व क्रिकेटरों ने भी नकवी को समझाया कि मुकाबले का बायकॉट करना न पीसीबी के हित में होगा और न ही पाकिस्तानी टीम के।
अगर पाकिस्तान मैच व टूर्नामेंट से हटता तो इसके उसे बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। काफी सोच विचार और ड्रामे के बाद पीसीबी ने अपनी टीम को यूएई के विरुद्ध मैच खेलने की अनुमति दी।
स्टेडियम पहुंचने में देरी
पाकिस्तानी टीम करीब डेढ़ घंटे की देरी से दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम पहुंची। हालांकि यूएई की टीम और मैच रेफरी एंडी पायक्राफ्ट अपने समय पर पहुंच गए थे। दरअसल, पीसीबी ने पायक्राफ्ट को उस शर्मिंदगी का जिम्मेदार ठहराया था, जो उसे रविवार को भारत से हार के बाद झेलनी पड़ी।
भारतीय खिलाड़ियों ने उस मैच के बाद हाथ मिलाने से इन्कार कर दिया था। यह कदम उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के पीडि़तों और शहीदों के प्रति एकजुटता जताने के लिए उठाया था।
एंडी के खिलाफ शिकायत
पीसीबी का आरोप था कि जिंबाब्वे के 69 वर्षीय पायक्राफ्ट ने कप्तान सलमान अली आगा को भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से हाथ मिलाने से मना किया और साथ ही दोनों कप्तानों के बीच परंपरागत टीम-शीट के आदान-प्रदान की अनुमति भी नहीं दी।
पीसीबी ने अपनी पहली शिकायत में लिखा था, यह आचरण आईसीसी आचार संहिता के अनुच्छेद 2 का उल्लंघन है, जिसके तहत मैच रेफरी का खेल भावना और एमसीसी के नियमों के विपरीत व्यवहार करना दंडनीय अपराध है। इस घटना ने खेल की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है।
आईसीसी का रुख नहीं बदला
आईसीसी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और यहां तक कि पीसीबी की दूसरी लिखित शिकायत पर भी आईसीसी का रुख नहीं बदला।
आईसीसी और एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में पायक्राफ्ट की कोई भूमिका नहीं थी, बल्कि उन्होंने पाकिस्तान को भारतीय टीम के कदम के बारे में पहले ही सूचित कर 'ब्लाइंड साइड' होने से बचा लिया था।
इस मामले की जांच करने वाली आईसीसी की समिति ने पीसीबी को बताया कि पायक्राफ्ट ने भारत-पाकिस्तान मैच में किसी भी प्रोटोकाल का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने पहले ही दोनों कप्तानों और आयोजकों को बता दिया था कि टास के समय दोनों कप्तान हाथ नहीं मिलाएंगे।
पाकिस्तान का जबरदस्त ड्रामा
आईसीसी सूत्र ने कहा कि किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में रेफरी, अंपायर नियुक्त करने का निर्णय क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था का होता है। अगर इस मामले में निर्णय बदला जाता तो भविष्य के लिए बहुत गलत संदेश जाता। इसके बाद पाकिस्तान ने कई घंटों तक सोप ओपेरा की तरह दुनिया को जबरदस्त ड्रामा दिखाया।
यूएई के विरुद्ध मैच की बायकॉट कहकर देरी से मैदान में आई और मैच भी खेली। यदि पाकिस्तान टीम मैदान पर नहीं उतरती तो यूएई को पूरे अंक दिए जाते और उसकी टीम एशिया कप से ऐसे ही बाहर हो जाती।
हटना नहीं था आसान
अगर पाकिस्तान मैच का बायकॉट करता तो 140 करोड़ भारतीय रुपये का भारी नुकसान होता। मौजूदा एशिया कप से पीसीबी की अनुमानित कमाई 12-16 मिलियन डालर के बीच है। यदि बोर्ड टूर्नामेंट से हटने का फैसला करता है, तो उसके सालाना 227 मिलियन डालर (1998 करोड़ भारतीय रुपये) के बजट का लगभग सात प्रतिशत हिस्सा तुरंत प्रभावित होता।
इसके अलावा एसीसी की आय का सबसे बड़ा हिस्सा पांच टेस्ट खेलने वाले देशों भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को मिलता है। इनका 15-15 प्रतिशत हिस्सा मिलकर 75 प्रतिशत होता है। शेष 25 प्रतिशत एसोसिएट देशों में बांटा जाता है।
पीसीबी को होता नुकसान
अगर मैच का बायकॉट होता तो पीसीबी अपने वार्षिक बजट का सात प्रतिशत हिस्सा गंवा सकता था, यह कदम उसके लिए जोखिम भरा हो सकता था। जानकारों का कहना है कि यदि पाकिस्तान टूर्नामेंट छोड़ता है, तो वह एसीसी बोर्ड रूम में अलग-थलग पड़ जाता।
यही नहीं इसके साथ मैच प्रसारक को नुकसान होता जो एसीसी से पीसीबी के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग करता। यूएई भी इससे नाराज होता और पाकिस्तान को एशिया के कई क्रिकेट खेलने वाले देशों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता।
पहले भी कई बार मुंह की खानी पड़ी
2023 एशिया कप में भारत के पाकिस्तान में इन्कार करने के बाद पीसीबी को मजबूरन ये टूर्नामेंट हाइब्रिड मॉडल पर श्रीलंका और पाकिस्तान में आयोजित करना पड़ा। बीसीसीआई के सख्त रुख के बाद पाकिस्तान ने भारत से अपने मैच तटस्थ स्थान पर खेले
2025 आईसीसी चैंपियंस ट्राफी की मेजबानी भी पाकिस्तान को मिली थी। पीसीबी 1996 के बाद पहली बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा था, लेकिन भारत ने इस टूर्नामेंट में भी खेलने से इन्कार कर दिया था।
इसके बाद पीसीबी ने काफी दबाव बनाया, लेकिन अंतत: उसे ये टूर्नामेंट भी हाइब्रिड मॉडल पर पाकिस्तान और यूएई में आयोजित करना पड़ा। पाकिस्तान ने भारत के साथ मुकाबला दुबई में खेला था।
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