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    जज्बे ने बांटा जीत का 'स्नेह', बनना चाहती थीं तेज गेंदबाज, लेकिन बन गईं स्पिनर

    By Tuhin sharmaEdited By: Abhishek Upadhyay
    Updated: Wed, 05 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    हाल ही में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय महिला टीम का अहम सदस्य रहीं स्नेह राणा शुरुआत में तेज गेंदबाजी करती थीं, लेकिन बाद में कोच की सलाह ने उन्हें स्पिनर बनने पर मजबूर कर दिया। अपनी स्पिन से उन्होंने भारत की जीत में अहम रोल निभाया। 

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    स्नेह राणा ने टीम की जीत में निभाई अहम भूमिका

    तुहिन शर्मा, जागरण देहरादून: महिला क्रिकेट वनडे विश्व कप में भारत की जीत का श्रेय देहरादून की बेटी स्नेह राणा को भी जाता है। क्वार्टर फाइनल तक खेली स्नेह ने गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी में भी शानदार प्रदर्शन किया। विश्व कप के पहले मैच में स्नेह ने श्रीलंका के विरुद्ध दो छक्के व दो चौके की मदद से 28 रन बनाए और दो विकेट भी झटके थे।

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    क्रिकेट के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि क्रिकेट क्लब में प्रशिक्षण लेने के लिए रोज अपने घर से 12 किमी का सफर साइकिल से जाने के दौरान वह जेब में रोटी रखकर लाती थीं। देरी से बचने के लिए वह ऐसा करती थीं। देहरादून से सटे सिनोला गांव की रहने वाली स्नेह ने नौ वर्ष की आयु में देहरादून की लिटिल मास्टर्स एकेडमी में एडमिशन लेकर क्रिकेट का अभ्यास शुरू किया।

    तेज गेंदबाजी से की शुरुआत

    शुरू में वह पेस बॉलिग करती थी, लेकिन कोच नरेंद्र शाह के मार्गदर्शन में उन्होंने ऑफ स्पिन फेंकना शुरू किया। करीब आठ साल तक कड़े के अभ्यास के बाद वह पंजाब की अंडर-19 टीम से खेलने चली गईं। तब उत्तराखंड में बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त संघ नहीं था। वर्ष 2014 में श्रीलंका के विरुद्ध पहले वनडे और टी-20 मैच खेला। साल 2016 में घुटने की चोट के बाद स्नेह को भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया, लेकिन उन्होंने पांच साल बाद 2021 में वापसी की और इंग्लैंड के विरुद्ध अपना पहला टेस्ट मैच खेला। फिर उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा। वर्ष 2014 के दौरान वह रेलवे में चयनित होकर रेलवे की टीम से खेलने लगीं। वर्तमान में उनकी तैनाती देहरादून रेलवे स्टेशन में है।

    पिता के निधन के बाद मां ने किया सहयोग

    स्नेह के पिता भगवान सिंह राणा सिनोला के गांव प्रधान रहे हैं। माता विमला राणा गृहिणी हैं। पिता ने ही स्नेह को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया, लेकिन 2021 में इंग्लैंड दौरे के दौरान उनके पिता का निधन हो गया। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मां के सहयोग से अभ्यास जारी रखा।

    एक रन देकर उड़ाए थे पांच विकेट

    देहरादून में अभ्यास के दौरान उन्होंने बांकेलाल स्मृति टूर्नामेंट के एक मैच के दौरान प्रतिद्वंद्वी टीम के पांच विकेट उड़ाए थे। वह भी एक सिर्फ एक रन देकर। इसी टूर्नामेंट के एक मैच में उन्होंने 68 गेंदों पर 168 रन बनाए थे।

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