Yamuna Pollution: कितनी साफ हुई यमुना नदी? डीपीसीसी जारी नहीं कर रही रिपोर्ट
Delhi Pollution दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) यमुना नदी की सफाई पर रिपोर्ट जारी नहीं कर रही है, जिससे नदी की सफाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं। ...और पढ़ें

यमुना नदी में फैली झाग का नजारा। फाइल फोटो- जागरण
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। Delhi Pollution News: यमुना की सफाई को लेकर वर्षों से राजनीति होती रही है। विधानसभा चुनाव से पहले भी यह बड़ा मुद्दा था और आज भी इस पर बयानबाजी जारी है। इन सबके बीच यमुना तथा इसमें गिरने वाले नालों में प्रदूषण का स्तर और सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) से जुड़े आंकड़े जारी नहीं हो रहे हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) हर महीने ये आंकड़े जारी करती है, लेकिन नवंबर 2025 की रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
दिल्ली में सत्ता संभालने के बाद भाजपा ने केंद्र और पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर यमुना की सफाई की नई शुरुआत की है। इस बार मानसून में अच्छी बारिश और बाढ़ के कारण नदी में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया था। लेकिन मानसून खत्म होते ही अक्टूबर से फिर प्रदूषण बढ़ने लगा।

यमुना में प्रदूषण के स्तर में कब आई थी कमी?
9 अक्टूबर को लिए गए नमूनों के आधार पर डीपीसीसी की रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष ने भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया था। हालांकि, छठ के समय हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से नदी में अधिक पानी छोड़े जाने से प्रदूषण का स्तर कुछ कम हो गया था और डीपीसीसी ने 20 अक्टूबर के नमूनों के आधार पर नई रिपोर्ट जारी की, जिसमें प्रदूषण में कमी दिखाई गई।
इसके आधार पर दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए पिछले वर्षों की तुलना में यमुना में प्रदूषण कम होने का दावा किया। उनका कहना है कि नदी में गिरने वाले नालों से 20 लाख टन गाद निकाली गई है और एसटीपी का उन्नयन तेजी से किया जा रहा है। इन प्रयासों से यमुना की स्थिति में सुधार हुआ है।
कमियों को दूर कर नियमित रिपोर्ट जारी करने की मांग
अक्टूबर में एक की जगह दो रिपोर्ट जारी की गई थीं, लेकिन नवंबर में न तो यमुना और न ही इसमें गिरने वाले नालों की कोई रिपोर्ट जारी हुई। एसटीपी की तो सितंबर के बाद कोई रिपोर्ट ही नहीं आई है, जबकि आठ एसटीपी के उन्नयन कार्य पूरे होने के बाद 9 अक्टूबर को उनका उद्घाटन किया गया था। इनका आंकड़ा भी सार्वजनिक नहीं किया गया।
पर्यावरणविद् इसे लेकर नाराजगी जता रहे हैं। अर्थ वारियर्स के पंकज कुमार कहते हैं कि पारदर्शिता बेहद जरूरी है। लोगों को नियमित रूप से यमुना में प्रदूषण के स्तर की जानकारी मिलनी चाहिए।
साउथ एशिया नेटवर्क आन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल (सैंड्रप) के सह-संयोजक बीएस रावत का कहना है कि डीपीसीसी को रिपोर्ट की कमियों को दूर कर इसे नियमित रूप से जारी करना चाहिए। साथ ही जांच के पैरामीटर भी बढ़ाने चाहिए। डीपीसीसी के सदस्य डा. अनिल गुप्ता कहते हैं कि वे समिति की अगली बैठक में यह मुद्दा उठाएंगे। जुलाई के बाद समिति की कोई बैठक नहीं हुई है।
छह एसटीपी का उन्नयन बाकी
नालों का पानी साफ करने के लिए दिल्ली में 37 एसटीपी हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश अपनी पूरी क्षमता और मानकों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। इनका उन्नयन कार्य चल रहा है। एनजीटी के आदेश पर 2015 में 18 एसटीपी के उन्नयन का प्रस्ताव तैयार हुआ था जिसे दिसंबर 2017 तक पूरा करना था, लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हुआ है।
केसोपुर फेज-2 एवं 3, कोंडली फेज-4, रोहिणी, कोरोनेशन पिलर फेज-1 एवं 2, कोरोनेशन पिलर फेज-3, नरेला, यमुना विहार फेज-2 और नजफगढ़ एसटीपी का उन्नयन पूरा होने के बाद 9 अक्टूबर को उनका उद्घाटन किया गया था। रिठाला फेज-2, पाप्पनकलां और नीलोठी का उन्नयन कार्य पहले ही पूरा हो चुका था। वहीं ओखला फेज-5, घिटोरनी, वसंत कुंज, यमुना विहार फेज-1, केशोपुर फेज-1 और यमुना विहार फेज-3 एसटीपी का उन्नयन कार्य दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

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