जेएनयू में एबीवीपी ने प्रशासन पर पक्षपात का लगाया आरोप, लोकतंत्र की हत्या का किया दावा
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एबीवीपी ने प्रशासन पर पक्षपात का गंभीर आरोप लगाया है। एबीवीपी का कहना है कि प्रशासन कुछ विचारधाराओं का समर्थन कर रहा है और अन्य को दबा रहा है, जिससे छात्रों के अधिकारों का हनन हो रहा है। एबीवीपी ने प्रशासन के इस रवैये को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए निष्पक्षता की मांग की है।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू परिसर में बुधवार को एबीवीपी की ओर से जोरदार प्रदर्शन किया गया। छात्रों ने ग्रिवांस रिड्रेसल कमेटी पर पक्षपात करने और विश्वविद्यालय प्रशासन पर लोकतंत्र की अवहेलना व मनमाने निर्णय देने का आरोप लगाया है।
कार्यकर्ताओं ने बताया कि वामदल की ओर से पिछले दिनों गलत तरीके से चुनाव समितियों की नियुक्तियों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और शिकायत निवारण समिति (जीआरसी) को सारे सबूत दिए गए। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने उन्हीं के पक्ष में फैसला दे दिया है। एबीवीपी ने इसे जेएनयूएसयू संविधान की आत्मा के विरुद्ध और छात्र लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया।
दरअसल, पिछले दिनों स्कूल आफ सोशल साइंसेज (एसएसएस) और स्कूल आफ लेंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज (एसएलएलएंडसीएस) में चुनाव समितियों की नियुक्तियों को एबीवीपी ने गलत बताया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे वैध ठहरा दिया है।
एबीवीपी का कहना है कि ये नियुक्तियां पूरी तरह अलोकतांत्रिक तरह से हुई है। ऐसे में यह निर्णय विश्वविद्यालय की संस्थागत निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। एबीवीपी ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इस निर्णय पर तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।
जेएनयूएसयू संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने कहा कि हमने ठोस प्रमाणों के साथ जीआरसी को बताया था कि ये नियुक्तियां बिना वोटिंग, बिना क्वोरम और बिना छात्र सहमति के की गईं। इसके बावजूद केवल राजनीतिक दबाव में निर्णय दिया गया है।
यह विश्वविद्यालय में लोकतंत्र की हत्या है। हम इस मामले पर दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की अपील करते हैं। यह अन्यायपूर्ण निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो छात्र समुदाय अपने तरीके से लोकतांत्रिक प्रतिरोध करेगा।
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