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    सिख विरोधी दंगे के दोषी बलवान खोखर को मिली 21 दिन की फर्लो, दिल्ली HC ने क्या कहा?

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 10:49 AM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषी, बलवान खोखर को 21 दिन की फर्लो दी है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व कांग्रेस पार्षद की फ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी व उम्रकैद की सज़ा पाए पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर को दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 दिन की फरलो दे दी। न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि निश्चित तौर पर याचिकाकर्ता ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है, लेकिन उसे फरलो देने से इन्कार करना, नियमों का मशीनी तरीके से इस्तेमाल होगा और यह फरलो न्यायशास्त्र के मूल उद्देश्य को ही खत्म कर देगा।

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    अदालत ने बलवान को अपने सामाजिक संबंधों को मजबूत करने के लिए फरलो की अनुमति दे दी। अदालत ने बलवान को 20,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी की राशि के एक जमानती पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

    हालांकि, फर्लो पर रिहा करने के दौरान अदालत ने बलवान पर कुछ शर्तें लगाईं। अदालत ने कहा कि वह बिना पहले बताए दिल्ली कैंट पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगा और हर मंगलवार को सुबह 10 बजे पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।

    पीठ ने कहा कि फरलो की व्यवस्था सामाजिक सुधार का एक स्थापित पहलू है, जिसका मकसद दोषी को परिवार व सामाजिक संबंध बनाए रखने और जरूरी जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करना है। अदालत ने नोट किया कि दोषी करीब 11 साल 10 महीने से न्यायिक हिरासत में है और उसका आचरण संतोषजनक रहा है।

    दोषी बलवान ने फरलो आवेदन को खारिज करने के जेल अधिकारियों के चार सितंबर के आदेश को चुनौती दी थी।। उक्त आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि उसकी रिहाई से पब्लिक शांति व व्यवस्था को खतरा हो सकता है।

    खोखर को चार अन्य लोगों के साथ 2013 में एक ट्रायल कोर्ट ने हत्या व दंगा करने के अपराधों के लिए दोषी ठहराया था, हालांकि पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को इसी मामले में बरी कर दिया गया था। एक नवंबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोध दंगे भड़क गए थे और पांच सिख व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी और गाजियाबाद के राजनगर में एक गुरुद्वारे को आग लगा दी गई थी।

    दिसंबर 2018 में हाई कोर्ट ने खोखर की सजा और दोषसिद्धि को बरकरार रखा था, जबकि सज्जन कुमार को बरी करने के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ खोखर की अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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