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    छठ पर्व पर पाकिस्तान के रक्षा बजट का आधा खर्च करेंगे भारतीय, स्वदेशी को देंगे बढ़ावा

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 06:36 AM (IST)

    छठ पूजा, सूर्य उपासना का महापर्व, पूरे देश में श्रद्धा से मनाया जा रहा है। इस वर्ष, इस पर्व पर देश भर में 38 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है। अकेले दिल्ली में छह हजार करोड़ का व्यापार होने की उम्मीद है। यह पर्व न केवल धार्मिक है, बल्कि 'वोकल फॉर लोकल' को भी बढ़ावा देता है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। सूर्य उपासना के महापर्व छठ को पूरे देश में आस्था, श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। रविवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय पर्व का शुभारंभ हो जाएगा। खास बात कि अकेले इस पर्व पर ही देश के लोग पाकिस्तान के रक्षा बजट का आधा खर्च करेंगे, जो स्वदेशी को भी बड़ी मजबूती देगा।

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    छठ पूजा की तैयारियों के मद्देनजर इस वर्ष पूरे देशभर में 38 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान है। जबकि, पाकिस्तान का कुल रक्षा बजट 79 हजार करोड़ रुपये ही है। कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह अनुमान जताते हुए कहा कि पूर्वांचलवासियों के दिलों से निकलकर अब यह पर्व पूरे देश को जोड़ने का काम कर रही है।

    इसलिए पिछले वर्ष की तुलना में छठ के व्यापार में इस वर्ष सात हजार करोड़ रुपये की वृद्धि है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा लगभग 31 हजार करोड़ रुपये तथा वर्ष 2023 में करीब 27 हजार करोड़ रुपये था। अकेले दिल्ली में लोक आस्था के इस महापर्व पर लगभग छह हजार करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार की उम्मीद है।

    इस पर्व पर देशभर में करीब 15 करोड़ श्रद्धालु व्रत, स्नान, अर्घ्य और पूजा के पारंपरिक विधान में शामिल हो रहे हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री व चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में छठ पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी तरह, देश के विभिन्न हिस्सों में कामकाज और रोजगार के लिए बसे पूर्वांचली समाज के लोग भी छठ पूजा में पूरी श्रद्धा से सम्मिलित हो रहे हैं।

    छठ पूजा से संबंधित प्रमुख वस्तुओं में सुप, दौरा, डलिया, मिट्टी के दीपक, बांस की टोकरी, सूप और सुथनी, फल विशेषकर केला, नारियल, सेब, गन्ना, नींबू, गेहूं और चावल का आटा, मिठाइयां, प्रसाद के लिए ठेकुआ और खजूर, पूजा सामग्री, साड़ी और पारंपरिक वस्त्र, सजावट सामग्री, दूध और घी, पूजा पात्र, टेंट व सजावट के सामान, परिवहन तथा आतिथ्य सेवाएं शामिल हैं।

    इसी तरह पारंपरिक परिधान जैसे साड़ियां, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता (महिलाओं के लिए) और कुर्ता-पायजामा, धोती (पुरुषों के लिए) की खरीदारी भी बड़े पैमाने पर हो रही है, जिससे स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को सीधा लाभ मिल रहा है। साथ ही, हस्तनिर्मित स्वदेशी वस्तुएं भी बड़ी मात्रा में बिक रही हैं। पूजा में उपयोग की जाने वाली अधिकांश वस्तुएं स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा निर्मित होती हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और कुटीर उद्योग को मजबूती मिल रही है।

    प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व व्यापार को भी प्रोत्साहित करता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधा लाभ पहुंचा रहा है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बल मिल रहा है।

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