अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में क्रिश्चियन मिशेल को झटका, प्रत्यर्पण के विरोध में याचिका दिल्ली HC से खारिज
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की याचिका खारिज कर दी, जिसमें भारत-यूएई प्रत्यर्पण संधि को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि संधि संसद द्वारा पारित नहीं है, इसलिए इसे अवैध घोषित नहीं किया जा सकता। मिशेल को 2018 में प्रत्यर्पित किया गया था और उस पर वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ था।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 1999 में हुई भारत-यूएई प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 17 को चुनौती देने वाली अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाॅप्टर घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की याचिका पर विचार करने से दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा कि यह संधि संसद की ओर से पारित नहीं की गई है, इसलिए यह कोई ऐसा कानून नहीं है, जिसे अवैध घोषित किया जा सके।
अदालत ने कहा कि यह एक विधेयक की तरह है, जो कानून नहीं है। किसी प्रस्तावित विधेयक को अधिकार-बाह्य घोषित नहीं किया जा सकता। अदालत के रुख को देखते हुए मिशेल की तरफ से पेश हुए वकील ने ताजा याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली।
मिशेल को दिसंबर 2018 में इसी संधि के तहत दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि आमतौर पर प्रत्यर्पित व्यक्ति पर केवल उन्हीं अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है, जिनके लिए प्रत्यर्पण की मांग की गई हो।
हालांकि, अनुच्छेद 17 भारत सरकार को उससे जुड़े अपराधों के लिए भी उस पर मुकदमा चलाने का अधिकार देता है। वीवीआईपी हेलिकाॅप्टर घोटाले में हुए अवैध लेनदेन में मिशेल ने बिचौलिया की भूमिका अदा की थी।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 8 फरवरी 2010 को वीवीआईपी हेलिकाॅप्टरों की आपूर्ति के लिए हुए सौदे से सरकारी खजाने को लगभग 2666 करोड़ का अनुमानित नुकसान हुआ था।
ईडी ने जून 2016 में मिशेल के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था और इसमें आरोप लगाया गया था कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से करीब 225 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे।
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