IFS मुकुल आर्य की रहस्यमयी मौत पर कोर्ट ने नहीं दी विशेष जांच की अनुमति, याचिका खारिज
IFS अधिकारी मुकुल आर्य की संदिग्ध मौत के मामले में अदालत ने विशेष जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता का कहना था कि मौत की परिस्थितियों की एसआईटी जांच होनी चाहिए, लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया और मामले को बंद कर दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने फलिस्तीन में भारत के प्रतिनिधि आइएफएस मुकुल आर्य की मृत्यु की विशेष जांच या पूछताछ का आदेश देने से इन्कार कर दिया है। मुकुल आर्य छह मार्च 2022 को रामल्लाह स्थित अपने आवास में मृत पाए गए थे।न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि मामले में हुई बहुस्तरीय जांच और शव परीक्षण रिपोर्ट के निष्कर्ष कोई गड़बड़ी नहीं मिली थी।
पीठ ने कहा कि प्रमुख साक्ष्यों के नष्ट हो चुकी है और जहां परिस्थितियां साक्ष्य को शून्य बना देती हैं, वहां अदालतें साक्ष्य नहीं बना सकतीं या आगे की जांच का आदेश नहीं दे सकतीं। जब तक जानबूझकर किए गए गलत काम का संकेत देने वाली विश्वसनीय सामग्री न हो, तब तक आगे की या विशेष जांच, या जांच आयोग के निर्देश उचित नहीं हैं।
पीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ मुकुल आर्य के भाई द्वारा मृत्यु की आगे की जांच की मांग वाली याचिका का निपटारा कर दिया। उनका तर्क था कि उनका भाई एक संवेदनशील पद पर कार्यरत था। इसलिए बिना किसी अंतर्निहित कारण के उसकी अचानक और अस्पष्टीकृत मृत्यु नहीं हो सकती थी। यह भी तर्क दिया था कि मृत्यु की परिस्थितियां संदिग्ध बनी हुई हैं और एक जांच आयोग के गठन के माध्यम से गहन जांच की आवश्यकता है। उसके साथ ही केंद्र सरकार को परिवार को मुआवजा देने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।
पीठ ने दिल्ली सरकार की स्थिति रिपोर्टों को देखने के बाद कहा कि मृतक को कोई बाहरी या आंतरिक चोट नहीं थी, कोई फ्रैक्चर नहीं था, कोई विषाक्तता के लक्षण नहीं थे, और कोई बाहरी डीएनए नहीं था। जिससे तीसरे पक्ष की संलिप्तता का संकेत मिलता हो।
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