निवेश के नाम पर 50 लाख की ठगी, 165 साइबर केसों से जुड़ा ओडिशा का गैंग दिल्ली क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने निवेश योजनाओं में मोटा मुनाफा का लालच देकर 50 लाख की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने तीन जालसाजों को गिरफ्ता ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। निवेश योजनाओं में मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर व्यक्ति से 50 लाख ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर क्राइम ब्रांच की टीम ने तीन जालसाजों को दबोचा है। जांच में आरोपी देशभर में 165 साइबर क्राइम शिकायतों से जुड़े पाए गए, जिनकी एनसीआरपी से जुड़ी शिकायतों में 6.33 करोड़ की ठगी का पता चला है।
आरोपी बड़े साइबर सिंडिकेट के लिए बड़े पैमाने पर म्यूल अकाउंट चलाते थे। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान ओडिशा के प्रवाश चंद्र पांडा, प्रीतम रोशन पांडा और श्रीतम रोशन पांडा के रूप में हुई है। इनके कब्जे से 17 मोबाइल फोन, 21 सिम कार्ड, 124 एटीएम, डेबिट व क्रेडिट कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 25 चेक बुक, सात क्यूआर कोड लेबल, दो पासपोर्ट और एक कैश काउंटिंग मशीन बरामद हुई है। पुलिस इनसे पूछताछ कर गिराेह में जुड़े अन्य आरोपियों के बारे में पूछताछ कर रही है।
उपायुक्त आदित्य गौतम के मुताबिक, शिकायतकर्ता को सेबी-रजिस्टर्ड स्टाकब्रोकर के रिप्रेजेंटेटिव बनकर जालसाजों ने धोखा दिया, जिन्होंने उसे सेकेंडरी स्टाक्स, प्री-आईपीओ शेयर्स और ऑफ-मार्केट ट्रेड्स में इन्वेस्ट करने के लिए उकसाया। धोखेबाजों ने उसका भरोसा जीतने के लिए मैनिपुलेटेड वेब एप्लीकेशन और जाली सेबी सर्टिफिकेट्स का इस्तेमाल किया।
झांसे में आकर शिकायतकर्ता ने धोखेबाजों के दिए गए कई बेनिफिशियरी अकाउंट्स में कुल 49.73 लाख ट्रांसफर कर दिए। बाद में वेरिफिकेशन से पता चला कि ये अकाउंट्स ओडिशा में मौजूद एक कोआर्डिनेटेड ग्रुप द्वारा आपरेट किए जा रहे म्यूल अकाउंट्स थे। जांच करने पर, मेसर्स श्रीजी अपैरल्स के म्यूल अकाउंट की पहचान ठगी के पैसे लेने के लिए किया गया। एसीपी रमेश चंद्र लांब की देखरेख में और इंस्पेक्टर कमल कुमार के नेतृत्व में टीम ने ओडिशा के गंजम में छापेमारी कर तीनों जालसाजों को दबोच लिया।
जांच करने पर पता चला कि 49.73 की ठगी की रकम पांच बेनिफिशियरी अकाउंट में भेजी गई, जिसमें मेसर्स श्रीजी अपैरल्स का म्यूल अकाउंट भी शामिल था, जिसे तीन आरोपित चलाते थे। शिकायत करने वाले को नकली सेकेंडरी और प्री-आइपीओ स्कीम में निवेश के लिए उकसाने के बाद, पैसे जल्दी-जल्दी लिए गए। मिलते ही, पैसे को तेजी से ट्रांसफर, एटीएम से निकालकर और दूसरे म्यूल अकाउंट में भेज दिया गया। मेसर्स श्रीजी अपैरल्स के लिए कोई सही बिजनेस एक्टिविटी नहीं मिली, जिससे यह कन्फर्म हुआ कि धोखाधड़ी के लिए इसका खास इस्तेमाल किया गया था।
पूछताछ में पता चला कि प्रवाश चंद्र पांडा ने श्रीजी अपैरल्स के फर्जी खाते को खोलकर संचालित किया और धोखाधड़ी के पैसों को ट्रांसफर करने में मुख्य भूमिका निभाई। उसके साथ उसके भतीजे प्रीतम रोशन पांडा और श्रीतम रोशन पांडा ने मिलकर बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, सिम कार्ड जैसे उपकरणों को संभाला। दोनों ने पीड़ितों से ठगे गए पैसे को विभिन्न खातों में रूट करने, निकालने और डिजिटल चैनलों के जरिए मैनेज करने में सक्रिय सहयोग किया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।