दैनिक जागरण साहित्य सृजन सम्मान समारोह आज, गृह मंत्री अमित शाह करेंगे संबोधित
दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन जी की स्मृति में पहला 'दैनिक जागरण-साहित्य सृजन सम्मान' आज नई दिल्ली में दिया जाएगा। चयनित लेखक को 11 लाख रुपये की सम्मान राशि मिलेगी। 'हिंदी हैं हम' अभियान के तहत यह पुरस्कार हर साल दिया जाएगा। समारोह के बाद अमित शाह 'घुसपैठ, जनसांख्यिकी परिवर्तन और लोकतंत्र' विषय पर व्याख्यान देंगे।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जागरण साहित्य सुजन सम्मान हिंदी दैनिक के पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन की स्मृति में 10 अक्टूबर, 2025 को उनकी जयंती पर प्रदान किया जाएगा। चयनित लेखक को 11 लाख रुपये की सम्मान राशि के अलावा एक स्मृति चिन्ह भी दिया जाएगा। गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह चयनित लेखक को सम्मानित करेंगे।
यह पुरस्कार हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए दैनिक जागरण के "हिंदी हैं हम" अभियान के तहत प्रदान किया जा रहा है। जागरण साहित्य सुजन सम्मान प्रतिवर्ष एक हिंदी लेखक को प्रदान किया जाता है। यह इसका पहला वर्ष है। इस वर्ष के पुरस्कार विजेता का चयन एक प्रतिष्ठित चयन समिति द्वारा किया गया।
समिति में अभिनेता एवं गीतकार प्रसून जोशी, मराठी और हिंदी के प्रख्यात लेखक शरण कुमार लिंचले और वरिष्ठ लेखक डॉ. सच्चिदानंद जोशी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव शामिल थे। जागरण साहित्य सुजन सम्मान के लिए वर्ष 2024 में प्रकाशित कृतियों के लेखकों और प्रकाशकों से प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं।
इस पुरस्कार के लिए 500 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें कई साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त लेखकों की कृतियां शामिल हैं। इसके अलावा, एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता लेखक की पुस्तक भी निर्णायक मंडल के समक्ष प्रस्तुत की गई। पहले चरण में, एक चयन समिति ने एक आधार सूची तैयार की और उसे मुख्य निर्णायक मंडल के समक्ष प्रस्तुत किया।
नई दिल्ली में आयोजित निर्णायक मंडल की बैठक में, तीनों सदस्यों ने व्यापक विचार-विमर्श किया और सर्वसम्मति से एक लेखक का चयन किया। चयनित लेखक को शुक्रवार शाम गृह मंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। 37 वर्षों तक दैनिक जागरण के संपादक और प्रधान संपादक के रूप में, नरेंद्र मोहन ने पत्रकारिता और हिंदुत्व के ऐसे मानक स्थापित किए, जिनका अनुसरण करते हुए दैनिक जागरण आज भी नई सफलताएं प्राप्त कर रहा है।
उन्होंने बड़ी संख्या में संपादकों और पत्रकारों को उनकी भावी भूमिकाओं के लिए तैयार किया। जब देश में आपातकाल लागू हुआ, तो संपादक के रूप में नरेंद्र मोहन ने 27 जून, 1975 के दैनिक जागरण के संपादकीय में एक कॉलम खाली छोड़ते हुए लिखा, "नया लोकतंत्र? सेंसर लगा है, शांत रहें।" यह आपातकाल के विरुद्ध एक विरोध प्रदर्शन था। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी। 28 जून की रात को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
भारत और भारतीय संस्कृति में उनकी गहरी आस्था थी, जो उनके लोकप्रिय स्तंभ, विचार प्रवाह में झलकती थी। एक संपादक के रूप में, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर उनके तीखे विचार थे।
चुने हुए लेखकों को 11 लाख रुपये की राशि से सम्मानित किया जाएगा, गृह मंत्री अमित शाह पुरस्कार प्रदान करेंगे। यह पुरस्कार दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन की स्मृति में दिया जा रहा है।
आज की राजनीति और भ्रष्टाचार
हमेशा स्पष्ट दिखाई देते थे। उनकी रचनात्मकता का एक और आयाम उनके गद्य और पद्य में देखा जा सकता है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व, धर्म और सांप्रदायिकता, तथा आज की राजनीति और भ्रष्टाचार पर पुस्तकें शामिल हैं। 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए चुने गए और 2002 तक संसद सदस्य रहे।
नरेंद्र मोहन जी भारतीय संस्कृति और हमारी भाषा, हिंदी के संवर्धन के लिए आजीवन सक्रिय रहे। ऐसे ही एक प्रखर, विचारशील और विचारवान संपादक की स्मृति में, दैनिक जागरण ने "हिंदी हैं हम" अभियान के अंतर्गत इस पुरस्कार की स्थापना की है। इसमें नरेंद्र मोहन जी की जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष हिंदी विधाओं में मौलिक लेखन को सम्मानित किया जाएगा।
नरेंद्र मोहन जी हम सभी के प्रिय लेखक थे। एक सफल संपादक और एक कर्मठ पत्रकार होने के साथ-साथ वे एक संवेदनशील कवि भी थे। उनकी कविताएँ दैनिक जागरण के रविवारीय परिशिष्ट में हर रविवार को भव्य रूप से प्रकाशित होती थीं। हम उनकी कविताओं को बड़े ध्यान से पढ़ते थे क्योंकि उनमें राष्ट्रीयता का पुट और शब्दों की सुन्दर समझ होती थी। मेरा उनसे बहुत गहरा नाता था। नरेंद्र मोहन जी के व्यक्तित्व में एक जादुई आकर्षण था। मैं जागरण को अपने पूर्व प्रधान संपादक को इतने प्रेम से याद करने के लिए बधाई देता हूँ। नरेंद्र मोहन जी हमारे आदर के पात्र हैं।
-डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, गीतकार एवं कवि
हिंदी पत्रकारिता और हिंदी साहित्य जगत के लोग नरेंद्र मोहन जी के नाम से अपरिचित नहीं हैं। नरेंद्र मोहन जी जितने अच्छे संपादक थे, उतने ही अच्छे लेखक भी थे। उनके साहित्य और उनकी रचनाओं में भारतीयता का सार झलकता है। उन्हें याद करने और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए, दैनिक जागरण ने उनकी स्मृति में एक पुरस्कार की घोषणा की है। उनकी स्मृति में साहित्य सृजन सम्मान की घोषणा 10 अक्टूबर को की जाएगी। दैनिक जागरण को हार्दिक बधाई।
-डॉ. चंद्रकाश द्विवेदी, फिल्म निर्देशक
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