सवालों के घेरे में दिल्ली के Air Quality मॉनिटरिंग स्टेशनों का डेटा, कहीं सेंसर खराब तो कोई हरियाली के बीच बना
दिल्ली में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों की हालत खराब है। 39 में से कई स्टेशन ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, जिससे वायु गुणवत्ता के आंकड़ों की सटीकता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ स्टेशनों के डिस्प्ले बोर्ड खराब हैं, कुछ के सेंसर काम नहीं कर रहे, और कुछ स्टेशन हरियाली के बीच में स्थित हैं। विशेषज्ञों ने इन स्टेशनों की निगरानी और रखरखाव पर जोर दिया है ताकि जनता को सही जानकारी मिल सके।

लोधी रोड पर केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की बिल्डिंग में लगे एक्यूआई स्टेशन का डिस्प्ले बोर्ड पड़ा है बंद। हरीश कुमार
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। जहरीली हवा में सांस ले रही राजधानी के एक्यूआई डेटा पर तो आए दिन अंगुली उठ ही रही है, वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों की हालत भी सवालों के घेरे में है। इनकी पड़ताल करने पर पता चल रहा है कि उनकी रीडिंग के आधार पर हर रोज निकलने वाला औसत एक्यूआई भी समूची दिल्ली के वायु प्रदूषण की प्रामाणिक व पारदर्शी तस्वीर सामने नहीं लाता।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का लाइव अपडेट देने के लिए कुल 39 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन हैं, लेकिन रोज सभी स्टेशन नहीं चलते। कभी 39, कभी 38, कभी 37, कभी 36, कभी 45 और कभी इससे भी कम स्टेशनों की डेटा को आधार बनाकर दिल्ली का औसत एक्यूआई निकाल दिया जाता है।
इनमें भी किसी स्टेशन का डिस्प्ले बोर्ड खराब है, किसी के सेंसर ठीक से काम नहीं कर रहे, कहीं आधी अधूरी जानकारी मिल रही और कहीं पेड़ों में छिपे होने के चलते वह भी जनता तक नहीं पहुंच पा रही है। बावजूद इसके कहीं यह स्टेशन हरियाली के बीचोंबीच लगाए गए हैं ताकि उनका एक्यूआई अधिक न आए तो कहीं पानी का छिड़काव करके उसे नियंत्रित करने की काेशिश की जाती रहती है।
दिल्ली के विभिन्न वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों का हाल
- लोधी रोड : चिराग तले अंधेरा... केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की बिल्डिंग में लगे यहां के वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन का डिस्प्ले बोर्ड पूरी तरह से बंद पड़ा है। पता नहीं, यहां का एक्यूआई भी सही से अपडेट हो रहा है या नहीं।
- विवेक विहार में भी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र आइटीआई परिसर में ही लगा है। इसका डिस्प्ले बोर्ड साइड से खराब है। एक्यूआई डेटा भी ठीक से प्रदर्शित नहीं हो पा रहा।
- नरेला : बाहरी दिल्ली के नरेला में, आइटीआई परिसर में लगा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन हरियाली के बीचोंबीच लगाया गया है। बावजूद इसके यहां का डिस्प्ले बोर्ड काम नहीं कर रहा है।
- आया नगर : आया नगर में, मौसम विभाग कार्यालय के बाहर लगी वायु गुणवत्ता संकेतक मशीन लंबे समय से बंद है। स्थानीय गार्ड ने पुष्टि की कि 'यह मशीन पिछले 18 महीनों से बंद है।'
- आरके पुरम : आरके पुरम में, केंद्रीय विद्यालय की छत पर लगा स्टेशन पखवाड़े भर पहले बंद था। हालांकि अब ठीक चल रहा है। पर यह बोर्ड लगभग अदृश्य रहता है - घने पेड़ों के पीछे और मुख्य सड़क से लगभग 50 मीटर की दूरी पर लगा है। डिस्प्ले की दुर्गमता, हाल ही में हुई खराबी, खराब योजना और निगरानी की कमी की तरफ इशारा करती है।
- बवाना : महर्षि वाल्मीकि अस्पताल परिसर में स्थापित वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन पेड़ों के बीच लगा है, एक ऐसी जगह जहां से स्वाभाविक रूप से साफ रीडिंग मिलती है। लेकिन करीब 200 मीटर दूर स्थित डिस्प्ले बोर्ड की स्क्रीन पर कोई डेटा ठीक से दिखाई नहीं देता।
- पंजाबी बाग : पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग में, सर्वोदय कन्या विद्यालय का एक्यूआइ डिस्प्ले पूरी तरह से बंद मिला। कभी चल जाता है तो कभी बंद पड़ जाता है।
- कड़कड़डूमा : कड़कड़डूमा कोर्ट और सीपीसीबी मुख्यालय के बाहर, डिस्प्ले बोर्ड पिछले दिनों पुराना डेटा प्रदर्शित कर रहा था जबकि अब ठीक से काम कर रहा है।
- नजफगढ़ : नजफगढ़ के चौधरी ब्रह्म प्रकाश चरक अस्पताल में लगे स्टेशन का एक्यूआई डिस्प्ले बोर्ड सही काम कर रहा है, लेकिन यहां का पीएम 2.5 और पीएम 10 की रीडिंग सीपीसीबी और डीपीसीसी की वेबसाइट पर कभी दिखाई देती है, कभी नहीं। यह स्टेशन स्वचालित मोड में काम करता है, जिसके चारों ओर पेड़, एक छोटा कूड़ाघर और एक जल उपचार संयंत्र है।
- आईटीओ : रिंग रोड पर स्थित इस स्टेशन पर कई बार अपडेट नहीं होने के कारण पुराने डेटा प्रदर्शित होते रहते हैं।
- ओखला : ओखला औद्योगिक क्षेत्र फेज दो में, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अंतर्गत वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन पूरी तरह चालू मिला। डिस्प्ले सीपीसीबी और डीपीसीसी के आंकड़ों से मेल खाता है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों का बड़ा नेटवर्क है। अलग- अलग हिस्सों में लगे हैं। कई बार तकनीकी खामी एवं मौसम की मार से भी कुछ कुछ दिक्कतें आ जाती हैं। लेकिन फिर भी जल्द से जल्द उसको दुरुस्त किया जाता है। इन्हें अपग्रेड करने की प्रक्रिया पर भी काम चल रहा है। एक्यूआई डेटा छिपाने या उससे छेड़छाड़ की कोई मंशा नहीं रहती।
-डाॅ. अनिल गुप्ता, सदस्य, सीपीसीबी
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) डेटा निगरानी स्टेशनों पर कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। इन स्टेशनों को पेड़ों से ढका नहीं होना चाहिए और स्पष्ट डेटा संग्रह के लिए स्टेशन के आसपास 30 डिग्री के कोण पर कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। एक्यूआई का सही डेटा जानना एक आम आदमी का अधिकार है।
-मोहन पी. जार्ज, पूर्व विज्ञानी, डीपीसीसी
सीपीसीबी के वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों का एक्यूआई डेटा पूर्व में भरोसे लायक होता था, लेकिन आज नहीं कहा जा सकता। इनकी गंभीरता से निगरानी भी नहीं होती और कहीं न कहीं उन्हें इस तरह से लगाया जाता है या फिर कोशिश की जाती है कि एक्यूआइ कम आए। यह गलत है और इस स्थिति में सुधार अत्यंत आवश्यक है।
-सुनीता नारायण, महानिदेशक, सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई)

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