Air Pollution: घुटन में दिल्ली एनसीआर की सांसें; हवा 'बहुत खराब', कई इलाकों में AQI 400 पार
दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुँच गया है, जिससे हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में आ गई है। कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर दर्ज किया गया है, जिसके कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है।

राजधानी दिल्ली की हवा 'बहुत खराब'। सांकेतिक फोटो
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। शनिवार को दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। ठंड के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण भी गहराने लगा है। लगातार तीसरे दिन खतरनाक श्रेणी में रिकार्ड किया गया।
विभिन्न इलाकों का एक्यूआइ 400 पार कर खतरनाक श्रेणी में भी दर्ज किया गया। सुबह ही नहीं, दिन में भी स्माग की चादर छाई रही। हाल फिलहाल स्थिति में सुधार के कम जबकि बिगड़ने के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं।
प्रदूषण के मामले में रोहतक 374 एक्यूआइ के साथ पहले स्थान पर, जबकि 354 एक्यूआइ के साथ नोएडा तीसरे स्थान पर रहा। एक्यूआइ की गणना में शनिवार को भी उतार चढ़ाव का दौर चलता रहा।
स्विस एप आइएक्यू एयर ने सुबह 10 बजे दिल्ली का एक्यूआइ 590 यानी खतरनाक श्रेणी में दर्ज किया। लेकिन दिन भर ऊपर नीचे होने के बाद रात नौ बजे यह 310 यानी बहुत खराब श्रेणी में रिकार्ड किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार सुबह नौ बजे दिल्ली का एक्यूआइ 337 था, जो दोपहर तक बढ़कर 343 हो गया। शाम चार बजे शहर का औसत एक्यूआइ 361 पर पहुंच गया, जो इस सीजन की सबसे खराब रिकॉर्ड में से एक है।
रात आठ बजे एक्यूआइ 380 था। इस सीजन में अब तक, शहर का सबसे खराब औसत एक्यूआइ 31 अक्टूबर को 371 दर्ज किया गया था। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, नोएडा के अलावा एनसीआर के अन्य शहरों में ग्रेटर नोएडा में 336 और गाजियाबाद में 339 एक्यूआइ दर्ज किया गया, जो बहुत खराब श्रेणी में आते हैं।
आइआइटीएम पुणे के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान लगभग 30 प्रतिशत था, जबकि परिवहन क्षेत्र का योगदान 15.2 प्रतिशत रहा। पंजाब में एक दिन में 238 जगह जली पराली पंजाब में शनिवार को एक बार फिर पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई।
एक ही दिन में 238 नई घटनाएं सामने आईं, जिससे प्रदेश की हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है। मंडी गो¨बदगढ़ में एक्यूआइ 251 और पटियाला में 204 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में आता है। मौजूदा धान सीजन में पंजाब में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,622 हो गई है।

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