गजब हो गया! क्लाउड सीडिंग हुई दिल्ली में... पर बूंदों की फुहारों से भीगा यूपी का ये शहर
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के दो परीक्षण किए गए, जिसमें सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड का मिश्रण बादलों में छोड़ा गया। हालांकि, दिल्ली में वर्षा नहीं हुई, लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कुछ बूंदें पड़ीं। आईआईटी कानपुर के अनुसार अभियान तकनीकी रूप से सफल रहा। दिल्ली सरकार फरवरी तक ऐसे और परीक्षण करने की योजना बना रही है ताकि विभिन्न आर्द्रता स्तरों पर कृत्रिम वर्षा की संभावनाओं का आकलन किया जा सके।
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संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। पश्चिमी विक्षोभ के कारण बादलों से घिरे आसमान में दिल्ली सरकार ने मंगलवार को बुराड़ी के आसपास उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) के दो परीक्षण किए।
बताया कि दोनों परीक्षणों में कुल 16 फ्लेयर्स से सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों का मिश्रण बादलों में छोड़ा गया। हालांकि, दिल्ली में वर्षा एक बार भी नहीं हुई, खासकर उन इलाकों में जो इस उड़ान के मार्ग में थे। इसके विपरीत कुछ बूंदें पड़ीं नोएडा और ग्रेटर नोएडा में।
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने बताया कि तकनीकी तौर पर अभियान पूरी तरह सफल रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में कृत्रिम वर्षा कराने के लिए आइआइटी की टीम लगातार काम कर रही थी। मंगलवार को जैसे ही मौसम में अनुकूलता के संकेत मिले, उसी के अनुरूप दोपहर सवा बारह बजे आईआईटी कानपुर की हवाई पट्टी से सेसना विमान ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी।
बताया गया कि अभियान के दौरान एक बहुत बड़़े हिस्से में वर्षा कराने वाले रासायनिक मिश्रण का छिड़काव किया गया, जो लंबाई में 25 नाटिकल मील और चौड़ाई में चार नाटिकल मील रहा है। पहले चरण में विमान ने लगभग चार हजार फीट की ऊंचाई पर आपरेशन को पूरा किया, इसमें आठ फ़्लेयर्स दागे गए। प्रत्येक फ्लेयर का वजन लगभग 0.5 किलोग्राम था और प्रत्येक का इस्तेमाल लगभग 2.5 मिनट तक किया गया था। लगभग 18.5 मिनट के इस अभियान के सफलता पूर्वक पूरा होने पर विमान नीचे उतर आया।
वहीं, दूसरा चरण शाम तीन बज कर 55 मिनट पर शुरू हुआ। इस बार पांच से छह हजार फीट की ऊंचाई से बादलों में रासायनिक मिश्रण छोड़ा गया। दूसरे चरण के दौरान भी आठ फ्लेयर्स का प्रयोग किया गया।
देर रात जारी की गई आइआइटी कानपुर की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि बादलों में नमी की मात्रा 15 से 20 प्रतिशत तक ही थी, जो क्लाउड सीडिंग के लिए आदर्श स्थिति नहीं है। लेकिन यह स्थिति कम नमी वाली स्थितियों में सीडिंग की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए उपयुक्त थी। इसीलिए ट्रायल किया गया।
उधर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे नमी के अलग-अलग स्तर पर कृत्रिम वर्षा की संभावना का आकलन करने का दूसरा और तीसरा सफल प्रयास बताया। साथ ही कहा कि फरवरी तक राजधानी में ऐसे और परीक्षण करने की योजना है।
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उन्होंने कहा, 23 अक्टूबर को हुए पहले परीक्षण के बाद मंगलवार को दिल्ली में दो और परीक्षण किए गए। हमारा उद्देश्य विभिन्न आर्द्रता स्तरों पर सीडिंग की संभावनाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करना है, ताकि यह समझा जा सके कि किस प्रकार की वर्षा संभव है। उन्होंने यह भी कहा, मौसम विभाग के अनुसार हवा की दिशा उत्तर पश्चिमी थी और उसमें नमी की 50 प्रतिशत से कम थी।
सिरसा ने आगे कहा कि विज्ञानी पूरी तरह से सभी आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं और आगे इस पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर आने वाले हफ्तों में क्लाउड सीडिंग के और प्रयोग किए जाएंगे। पहले चरण के बाद तय होगा कि फरवरी तक और कितनी उड़ानें की जाएं।” यहां यह भी उल्लेखनीय है कि डीजीसीए से दिल्ली सरकार को 30 नवंबर तक के लिए क्लाउड सीडिंग की मंजूरी मिली हुई है। इसके बाद से यह फिर से लेनी होगी।
क्लाउड सीडिंग के पहले चरण की टाइमलाइन
1. आइआइटी कानपुर: 12:13 पर उड़ान
2. मेरठ एयरफ़ील्ड
3. खेकड़ा: पहला सीडिंग बिंदु 13:59 पर
4. बुराड़ी: दूसरा और तीसरा सीडिंग बिंदु 14:07 और 14:11 पर
5. नार्थ कैरोल बाग
6. मयूर विहार: चौथा सीडिंग बिंदु 14:15 पर
7. सादिकपुर: पांचवां सीडिंग बिंदु 14:18 पर
8. भोजपुर: अंतिम सीडिंग बिंदु 14:22 पर
9. मेरठ एयरफ़ील्ड, विमान 14:30 पर उतरा
क्लाउड सीडिंग के दूसरे चरण की टाइमलाइन
1. मेरठ से उड़ान भरी 15.55 पर
2. पहला सीडिंग पॉइंट खेकड़ा में 16:08 पर
3. उसके बाद बुराड़ी, मयूर विहार, पावी सादकपुर, नोएडा, भोजपुर, मोदीनगर और मेरठ के आसपास सीडिंग
-. मेरठ में लैंडिंग : 16:45
इन दो जगह दर्ज की गईं वर्षा की घटनाएं
1. नोएडा में शाम 4 बजे 0.1 मिमी वर्षा
2. ग्रेटर नोएडा में शाम 4 बजे 0.2 मिमी वर्षा
एक्यूआई की स्थिति
वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए 20 स्थानों से एक्यूआइ डेटा एकत्र किया गया, विशेष रूप से पीएम 2.5 और पीएम 10 का, जो क्लाउड सीडिंग से सीधे प्रभावित होते हैं। इस दौरान दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की गति तीन किमी प्रति घंटा बताई गई, जो लगभग नगण्य है।
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क्लाउड सीडिंग से पहले, मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी से पीएम 2.5 क्रमशः 221, 230 और 229 दर्ज किया गया था, जो पहली सीडिंग के बाद क्रमशः 207, 206 और 203 तक कम हो गया। इसी तरह, मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में पीएम 10 क्रमशः 207, 206, 209 था, जो घटकर क्रमशः 177, 163, 177 हो गया। चूंकि हवाएं नगण्य थीं, एक संभावित स्पष्टीकरण यह है कि सीडिंग के कारण उत्पन्न सघन नमी ने इन कणों के एक हिस्से को जमने में मदद की है, जिससे ये कमी आई है।
विचारणीय पहलू यह भी
क्लाउड सीडिंग के लिए डीजीसीए से सेसना विमान को उडा़न भरने की अनुमति मुख्तया बाहरी दिल्ली के लिए ही मिली है। ऐसे में यदि यह प्रयोग सफल हो भी जाए तो दिल्ली के एक छोटे से हिस्से को ही राहत मिलेगी। 1484 वर्ग किमी वाली दिल्ली में केवल 321 वर्ग किमी में ही वर्षा हो पाएगी यानी एक चौथाई से भी कम क्षेत्र में।

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