दिल्ली में क्लाउड सीडिंग पर उठे सवाल, AAP ने कहा- SOP का नहीं हुआ पालन; कांग्रेस बोली- करोड़ों रुपये बर्बाद
दिल्ली में क्लाइड सीडिंग को लेकर विवाद बढ़ गया है। आप पार्टी का कहना है कि एसओपी का पालन नहीं हुआ, जबकि कांग्रेस ने करोड़ों रुपये बर्बाद करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के अनुसार, इस परियोजना से कोई विशेष लाभ नहीं हुआ और यह जनता के पैसे की बर्बादी है।

दिल्ली में कृत्रिम बारिश को लेकर भाजपा सरकार पर विपक्ष ने उठाए सवाल।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए क्लाउड सीडिंग ट्रायल पर कई गंभीर सवाल खड़ा किया है।
पार्टी ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा क्लाउड सीडिंग करने का किया जा रहा दावा यकीन के योग्य नहीं है, क्योंकि भाजपा जिसे ऐतिहासिक बता रही है, उसे चोरी-छिपे क्यों किया गया? अगर ट्रायल हुआ तो एसओपी का पालन क्यों नहीं हुआ, क्षेत्रीय विधायक व जनता को इसके प्रभावों के बारे में क्यों नहीं बताया गया और बुराड़ी को ही क्यों चुना?
पार्टी ने यह भी कहा कि क्लाउड सीडिंग में उपयोग सिल्वर आयोडाइड की मात्रा अगर बढ़ जाए तो आंख, सांस व त्वचा को हानि नुकसान पहुंचा सकती है। बुराड़ी में अधिकांश लोग यूपी-बिहार के हैं, जिन्हें भाजपा दोयम दर्जे की मानती है। क्या इसीलिए ट्रायल के प्रभाव को छिपाया गया?
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने प्रदूषण से जंग में भाजपा सरकार क्लाउड सीडिंग के जरिये करदाताओं के करोड़ों रुपये बर्बाद करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम वर्षा के द्वारा दिल्ली के दमघोटू और खतरनाक प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के प्रयास में रेखा गुप्ता सरकार ने यह सुनिश्चित ही नहीं किया है कि इससे कितनी सफलता मिलेगी।
विशेषज्ञों की मानें तो इसकी सफलता के साथ-साथ नुकसान की भी आशंका है। बादलों में डाले जाने वाला सिल्वर आयोडाइड कम विषैला है लेकिन इसके एक्सपोजर से सांस, अस्थमा के मरीजों को नुकसान होगा। त्वचा में जलन जैसी समस्याओं से भी दिल्ली वालों को जूझना पड़ सकता है।
यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को दिल्ली का प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए स्थायी और दीर्घकालीन उपायों को लागू करना होगा। दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वाहन, टूटी हुई सड़कों के धूल कण, निर्माण धूल कण, औद्योगिक इंकाई, पावर प्लांट, वेस्ट जलाना और कृषि अवशेष पराली आदि जलाना है।
उन्होंने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम वर्षा करना पूरी तरह बादलों की घनता पर निर्भर है। दिल्ली सरकार का पहला क्लाउड सीडिंग का ट्रायल लगभग फेल रहा और दूसरे ट्रायल का समय निश्चित होने के बाद बादलों की घनता न होने के कारण किए नहीं गए।

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