नए साल में बदल जाएगा दिल्ली का 'नक्शा', 11 की जगह होंगे 13 जिले; शाहदरा डिस्ट्रिक्ट होगा खत्म
नए साल में दिल्ली का नक्शा बदलने वाला है। अब दिल्ली में 11 की जगह 13 जिले होंगे। शाहदरा डिस्ट्रिक्ट को खत्म कर दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे प् ...और पढ़ें
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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की फाइल फोटो। सौजन्य- सोशल मीडिया
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में जिला पुनर्गठन की प्रक्रिया इस महीने के अंत या जनवरी तक पूरी हो सकती है। दिल्ली में नगर निगम के अनुसार अब 13 जिले बनने की संभावना है, इसी पर आम सहमति बनी है। नगर निगम के 12 जोन और एनडीएमसी व कैंट एरिया अलग है।
नई व्यवस्था में नगर निगम के 12 जोन के अनुसार 12 जिलों का गठन होगा और एक जिला एनडीएमसी व कैंट एरिया को मिलाकर बनेगा। सूत्रों की मानें तो दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गत दिनों इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।

इंडिया गेट के आसपास का नजारा। फोटो सौजन्य- पीटीआई
जल्द ही इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किए जाने की सरकार की योजना है। कुछ समय पहले राजस्व विभाग की ओर से इस प्रस्ताव को कैबिनेट में भेजा गया था। मगर कुछ तकनीकी अड़चन के चलते इस पर कैबिनेट में चर्चा नहीं हो सकी है।
बता दें कि वर्तमान में दिल्ली में 11 जिले हैं। ऐसे में प्रशासनिक तौर पर कई तरह की समस्याएं खड़ी होती हैं। क्योंकि नगर निगम के 12 जोन हैं और एनडीएमसी और दिल्ली कैंट एरिया अलग है। दिल्ली सरकार इस समस्या को दूर करने के लिए 13 राजस्व जिले बनाने की तैयारी कर रही है।
इस व्यवस्था से क्या होगा लाभ?
- जिलों की सीमाओं को नगर निगम के जोन के साथ मिला जाएगा।
- प्रशासनिक समन्वय बेहतर होगा और सीमा विवाद खत्म होगा।
- नागरिकों के लिए सरकारी काम-काज आसान बनेगा।
सीएम रेखा गुप्ता ने किया था एलान
इस बारें में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कुछ महीने पहले घोषणा की थी। जिसके अनुसार चल रही प्रक्रिया में जिला स्तर पर जो बदलाव होना है उसके अनुसार सिविल लाइंस, करोल बाग, रोहिणी, नरेला, नजफगढ़, सिटी सदर (पुरानी दिल्ली), केशवपुरम, उत्तरी पूर्वी, पूर्वी जिला बनेंगे। वर्तमान शाहदरा जिला समाप्त किया जाएगा।
इसका इलाका शाहदरा उत्तरी और शाहदर दक्षिणी जिला में जोड़ा जाएगा। मध्य, नई दिल्ली, दक्षिण और पश्चिम जिले अपने मूल नामों के साथ बरकरार रहेंगे, लेकिन उनकी सीमाएं नगर निगम के जोन के अनुसार निर्धारित की जाएंगी। हर नए जिले में मिनी-सचिवालय बनेगा, जहां कानून-व्यवस्था को छोड़कर ज्यादातर सरकारी सेवाएं एक ही छत के नीचे मिलेंगी।

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