दीवाली की रात प्रदूषण ने तोड़ डाले सारे रिकॉर्ड; UDL लिंक फेल होने से गायब हुआ था सारा डाटा
दिल्ली में दिवाली की रात प्रदूषण ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के पार चला गया। यूनिफाइड डेटा लेयर लिंक फेल होने से डेटा गायब हो गया था। पटाखों का जलाना, वाहनों का धुआं और औद्योगिक उत्सर्जन प्रदूषण के मुख्य कारण थे। लोगों को सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। आतिशबाजी और पटाखों से दीवाली की रात राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण इस हद तक बढ़ा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण (सीपीसीबी) के बहुत से एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशन ही बैठ गए। यही वजह रही है कि रात को करीब पांच घंटे तक अलग-अलग स्टेशनों का प्रति घंटे का आंकड़ा गायब मिला। हालांकि, आधिकारिक स्तर पर इस पहलू को छिपाया व दबाया जा रहा है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक्यूआइ के एक सीमा तक पार कर जाने पर माॅनिटरिंग स्टेशन उसकी गणना कर ही नहीं पाते।
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि दीवाली की रात सीपीसीबी का यूडीएल (अप-डाउन लिंक) फेल हो जाने से कुछ स्टेशनों का एक्यूआइ डाटा गायब हुआ था। दरअसल, दिल्ली में सीपीसीबी के 39 मानिटरिंग स्टेशन हैं, जो उसके सर्वर से आनलाइन जुड़े हुए हैं। इनका डाटा इस सर्वर तक यूडीएल से ही पहुंचता है। सूत्र बताते हैं कि तकनीकी तौर पर इन सभी मानिटरिंग स्टेशनों में एक्यूआइ की कैपिंग तो 500 तक है लेकिन पीएम 2.5 और पीएम 10 की गणना 1000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक हो सकती है।
बताया जाता है कि दीवाली की रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक पटपड़गंज, नेहरू नगर, जेएलएन स्टेडियम, आइटीओ, एनएसआइटी द्वारका, आयानगर व ओखला फेज दो सहित अनेक स्टेशनों पर एक्यूआइ के आंकड़े दर्ज ही नहीं हुए। वजह, इन सभी जगह पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 1000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भी ऊपर पहुंच गया। लिहाजा, इन स्टेशनों के सेंसरों ने काम करना बंद कर दिया।
यूडीएल लिंक फेल हो गया, उनका आंकड़ा सीपीसीबी के सर्वर तक पहुंच ही नहीं पाया। इसी कारण सीपीसीबी के पोर्टल और एप पर घंटों तक इन इलाकों का एक्यूआइ डाटा गायब रहा। पूर्व में भी कई बार दीवाली की रात इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकाला जा सका। सुबह के वक्त जब प्रदूषण का स्तर कुछ नीचे आया तो ये स्टेशन फिर चलने लगे।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डाॅ. एम जार्ज सवाल उठाते हैं, “अगर यह ''ग्रीन दीवाली'' थी, तो लोगों को यह जानने का हक है कि उन्होंने रात में सांस के साथ क्या लिया? सीपीसीबी की निगरानी प्रणाली रात में चरम प्रदूषण के समय क्यों बंद रही?”
"बहुत बार जब प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है तो इस तरह के हालात बन जाते हैं। यूडीएल फेल हो जाता है और सर्वर भी डाउन हो जाता है। हालांकि कुछ घंटे में फिर चालू हो जाता है। भविष्य में इस समस्या के समाधान की दिशा में एयर क्वालिटी मानिटरिंग स्टेशनों को अपग्रेड करने पर विचार किया जा रहा है।"
-डाॅ. अनिल गुप्ता, सदस्य, सीपीसीबी
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