दिल्ली सरकार ने कोविड महामारी में जान गंवाने वाले 11 कर्मचारियों के परिजनों को दी एक-एक करोड़ की राशि
दिल्ली सरकार ने कोविड महामारी में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले 11 सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आर्थिक सहायता उनके प्रति कृतज्ञता है। सरकार इन परिवारों की जरूरतों और समस्याओं में भी साथ खड़ी रहेगी। सहायता प्राप्त कर्मियों में ड्राइवर, नर्सिंग अर्दली और एमसीडी के डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर शामिल हैं।

दिल्ली सरकार ने कोरोना के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को दी एक-एक करोड़ की राशि
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोविड महामारी में ड्यूटी के दौरान 2020-21 में जान गंवाने वाले 11 सरकारी कर्मियों के परिजनों को दिल्ली सरकार ने शनिवार को एक -एक करोड़ की सहायता राशि प्रदान की। दिल्ली सचिवालय में जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इन कर्मियों के परिजनों को एक-एक करोड़ के चैक सौंपे तो मुख्यमंत्री से मिलकर कुछ लोग भावुक हो गए।
इनमें कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके परिवार का कमाने वाला ही कोरोना में चला गया था और उनके पास परिवार चलाने का काेई अन्य साधन नहीं था। इसमें ड्राइवर, नर्सिंग अर्दली व एक एमसीडी के डोमेस्टिक ब्रीडिंंग चेकर भी शामिल हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि उनके प्रति हमारी गहरी कृतज्ञता और विनम्र श्रद्धांजलि है। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार न केवल आर्थिक सहायता दे रही है बल्कि अन्य जरूरतों व समस्याओं में भी इन परिवारों के साथ खड़ी रहेगी।
जिन कर्मियों के परिजनों को अनुग्रह राशि प्रदान की, उनमें बिक्री एवं कर विभाग के चालक वी. नंगथनलियान, जीटीबी अस्पताल की नर्सिंग अर्दली राजबाला गर्ग, एमसीडी के एमसीडी के डोमेस्टिक ब्रीडिंंग चेकर रोहन जोशी, चौ बृहम प्रकाश आयुवेर्दिक चरक संस्थान की सहायक बबिता, मौलाना मेडिकल कालेज की लैब तकनीशियन अनियम्मा रेजी, डीजीएचएस के डा रविंद्र कुमार गोयल, डीटीसी के बिस्वजीत दास, शिक्षा विभाग के राजेश कुमार, बीएसएफ के डा नवीन राम व विजय सिंह राजन, डीएचएस के अरुण सूद शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड पूरे विश्व के लिए सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट नहीं था, बल्कि यह लाखों परिवारों के लिए एक व्यक्तिगत त्रासदी भी रहा।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खेदजनक है कि पिछली सरकारों ने इन परिवारों की सहायता के विषय में उदासीनता दिखाई, जबकि यह उनके अधिकार में था और नियमों के अनुसार उन्हें यह राशि मिलनी चाहिए थी।
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