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    'रामलीला मैदान के अवैध ढांचे को हटाया जाए', दिल्ली HC ने MCD और PWD को दिया कार्रवाई का निर्देश 

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 03:10 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने तुर्कमान गेट के पास रामलीला मैदान में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। एमसीडी और पीडब्ल्यूडी को तीन महीने में कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश सेव इंडिया फाउंडेशन की याचिका पर दिया गया, जिसमें अतिक्रमण हटाने की मांग की गई थी। संयुक्त सर्वेक्षण में पाया गया कि सड़क, फुटपाथ, बारात घर और डायग्नोस्टिक सेंटर अवैध रूप से बने हैं। 

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    दिल्ली हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तुर्कमान गेट के पास रामलीला मैदान में सड़क, फुटपाथ, बरात घर, पार्किंग स्थल और एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर सहित अन्य अतिक्रमण हटाने का दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) व लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने निर्देश दिया है। तीन महीने में अतिक्रमण को हटाने का समय देते हुए मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने एमसीडी और पीडब्ल्यूडी को कार्रवाई से प्रभावित होने पक्षों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने का भी आदेश दिया।

    अदालत ने कहा कि पीडब्ल्यूडी उचित कार्रवाई शुरू करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सड़क और फुटपाथ को किसी भी तरह के अतिक्रमण से मुक्त कर दिया जाए। साथ ही अतिक्रमण की भूमि पर संचालित हो रहे बरात घर और पार्किंग के साथ ही निजी डायग्नोस्टिक सेंटर को हटाने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

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    अदालत ने उक्त निदेश पंजीकृत ट्रस्ट सेव इंडिया फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। ट्रस्ट ने एमसीडी, डीडीए, पीडब्ल्यूडी, भूमि एवं विकास कार्यालय (एल एंड डीओ), केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, राजस्व विभाग और पुलिस अधिकारियों द्वारा अक्टूबर 2025 में किए गए एक संयुक्त सर्वेक्षण के आधार पर कुछ अतिक्रमणों को हटाने की मांग की थी।

    संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट (जेएसआर) में पीडब्ल्यूडी की सड़क और फुटपाथ पर 2,512 वर्ग फुट और एमसीडी की जमीन पर 36,248 वर्ग फुट अतिक्रमण दर्ज किया गया है। इसमें कहा गया कि एक बरात घर, पार्किंग स्थल और एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर अतिक्रमण की भूमि पर चल रहे हैं।

    सर्वे में यह भी कहा गया कि एक मस्जिद और एक कब्रिस्तान ने 7,343 वर्ग फुट जमीन पर कब्जा कर रखा है, लेकिन एलएंडडीओ ने इस हिस्से को एमसीडी को हस्तांतरित नहीं किया है। ट्रस्ट ने कहा कि कई शिकायतों के बावजूद अधिकारियों की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई और अतिक्रमित भूमि एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक केंद्र होने के कारण एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

    मस्जिद के संबंध में नहीं दिया कोई आदेश

    अदालत ने मस्जिद और कब्रिस्तान वाले 7,343 वर्ग फुट क्षेत्र के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया। अदालत ने कहा कि जहां तक मस्जिद और कब्रिस्तान के अस्तित्व का सवाल है, यह भूमि एल एंड डीओ की है और इसलिए इस संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके अधिकारियों की है। एमसीडी और एल एंड डीओ के बीच उक्त भूमि को लेकर विवाद है, जिसे उक्त विभागों के अधिकारियों के बीच सुलझा लिया जाएगा।