'DUSU चुनावों में छात्र अपने हाथ में कानून नहीं ले सकते', दिल्ली हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के दैनिक कामकाज की निगरानी नहीं करेगा, लेकिन छात्र डूसू चुनावों में कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते। अदालत ने उम्मीदवारों को नोटिस भेजने का आदेश दिया, जिन पर चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। अगली सुनवाई 27 जनवरी, 2026 को होगी। याचिकाकर्ता ने चुनाव गाइडलाइंस के उल्लंघन का मुद्दा उठाया था।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के दैनिक कामकाज की निगरानी नहीं कर सकता।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के दैनिक कामकाज की निगरानी नहीं कर सकता, लेकिन छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों के दौरान कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते।
न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता को आदेश दिया कि वे उन उम्मीदवारों को नोटिस भेजें जिन्हें अब तक नोटिस नहीं दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2026 को होगी।
अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने याचिका दायर कर छात्र उम्मीदवारों द्वारा चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति की तोड़फोड़ की घटनाओं को उजागर किया गया था।
इससे पहले कोर्ट ने चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा बड़ी कारों और जेसीबी का इस्तेमाल करने पर चिंता जताई थी और कहा था कि पिछले साल की स्थिति से कोई सबक नहीं लिया गया। मनचंदा ने अपनी नई याचिका में चुनाव गाइडलाइंस और निर्धारित उपायों के उल्लंघन की बात उठाई थी जो डूसू चुनावों को शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित तरीके से कराने के लिए बनाए गए थे।

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