जब GST दर घटाई जा सकती है तो दिव्यांगों को रियायत क्यों नहीं दी? दिल्ली HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिव्यांगजनों के लिए जीएसटी रियायत हटाने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। आल इंडिया कंफेडरेशन आफ द ब्लाइंड की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दिव्यांगों के लिए विशेष रियायत क्यों नहीं दी जा सकती, जबकि सामान्य जीएसटी दर घटाई गई है। अधिवक्ता राहुल बजाज ने इस कदम को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन बताया। कोर्ट ने सरकार से 17 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

जब GST दर घटाई जा सकती है तो दिव्यांगों को रियायत क्यों नहीं दी? दिल्ली HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में दिव्यांगजनों द्वारा खरीदे जाने वाले वाहनों पर जीएसटी रियायत खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। मुख्य न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव की पीठ ने केंद्र सरकार के स्थायी वकील को इस संबंध में निर्देश लेकर 17 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह मामला ऑल इंडिया कंफेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड (एआईसीबी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। याचिका में केंद्र सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है, जिसके तहत वाहनों पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत की गई है, लेकिन दिव्यांगजनों के लिए कोई विशेष रियायत नहीं रखी गई।
पहले जहां सामान्य वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू था, वहीं दिव्यांगता से प्रभावित व्यक्तियों के लिए यह दर रियायती रूप से 18 प्रतिशत थी। लेकिन नई अधिसूचना के बाद अब सभी के लिए समान दर यानी 18 प्रतिशत जीएसटी लागू कर दी गई है, जिससे दिव्यांगजनों को मिलने वाला विशेष लाभ समाप्त हो गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील राहुल बजाज ने तर्क दिया कि यह कदम दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है, जो समान अवसर और भेदभाव-मुक्त नीतियों की गारंटी देता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जब सभी के लिए जीएसटी दर घटाई जा सकती है, तो दृष्टिबाधित और शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अनुपातिक रूप से और रियायत क्यों नहीं दी जा सकती।

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