दिल्ली मेडिकल काउंसिल के पुनर्गठन में देरी से कामकाज पांच माह से ठप, रजिस्ट्रेशन अटकने से इंटर्न-रेजिडेंट परेशान
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के पुनर्गठन में देरी के कारण कामकाज पाँच महीने से रुका हुआ है। नए डॉक्टरों का पंजीकरण अटक गया है, जिससे इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टर परेशान हैं। काउंसिल का पुनर्गठन समय पर न होने से डॉक्टरों से जुड़े कई ज़रूरी काम रुके हुए हैं, जिससे उन्हें काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पांच महीने से दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) न होने से पंजीकरण प्रक्रिया लगभग पांच माह से ठप है। इससे सैकड़ों इंटर्न, रेजिडेंट और एफएमजी छात्र परेशान हैं। इसी तरह नीम-हकीमी पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है, नैतिकता-संबंधी समितियां भी बंद हैं, जिससे न मरीजों को न्याय मिल रहा है और न चिकित्सकों को वैधानिक सुरक्षा।
चिकित्सकों का आरोप है कि यह विनियामक शून्य राष्ट्रीय राजधानी जैसे संवेदनशील स्वास्थ्य ढांचे के लिए खतरनाक है। इसे लेकर दिल्ली के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कालेजों, ईएसआई एनडीएमसी संस्थानों और निजी प्रैक्टिस से जुड़े चिकित्सकों ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के पुनर्गठन में लगातार हो रही देरी पर गंभीर नाराजगी जताई है।
दिल्ली डाक्टर्स फोरम (यूनाइटेड) उपराज्यपाल को पत्र भेजकर काउंसिल की चुनाव तुरंत और पारदर्शी तरीके से कराए जाने मांग की है। फोरम के अध्यक्ष डाॅ. विनोद रैना सहित बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने हस्ताक्षर किए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि दिल्ली को ऐसी मेडिकल काउंसिल चाहिए जो पारदर्शी, जिम्मेदार और आधुनिक हो जिस पर चिकित्सक भरोसा कर सकें और मरीज सम्मान के साथ देखें।
चिकित्सकों ने उपराज्यपाल को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि काउंसिल के भंग होने के पांच महीने बाद चुनाव और नई काउंसिल के गठन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है, जबकि उपराज्यपाल कार्यालय ने इसे दो बार दो महीने की समयसीमा में पूरा करने का निर्देश दिया था। कहा कि डीएमसी को जून 2025 में वित्तीय अनियमितताओं, अपारदर्शी शुल्क संग्रह, संदिग्ध प्रशासनिक फैसलों और जवाबदेही की कमी जैसे गंभीर आरोपों के बाद भंग किया गया था।
जांच में पाया गया कि काउंसिल ने करीब 28 करोड़ शुल्क तो एकत्र किया, लेकिन उसका कोई स्पष्ट हिसाब या वैधानिक रिकार्ड उसके पास नहीं था। आरोप है कि पूर्व अधिकारियों के कई फैसले अधिकारों के दुरुपयोग और प्रक्रियाओं की अनदेखी के संकेत भी देते हैं।
इन बातों के मद्देनजर युवा चिकित्सक लगातार पंजीकरण और शिकायत निवारण में लापरवाही को लेकर आवाज उठा रहे थे। मांग की कि चुनाव तुरंत और पारदर्शी तरीके से कराए जाएं, नई काउंसिल सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करे और अंतरिम प्रशासनिक शक्तियां बहाल की जाएं ताकि जरूरी सेवाएं दोबारा शुरू हो सकें।
मांग की गई है कि यह समय केवल पुरानी व्यवस्था की वापसी का नहीं बल्कि एक सख्त, नैतिक और सदस्य-अनुकूल डीएमसी के निर्माण का है।
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