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    दिल्ली बनाए जा रहे 6 आईसीयू अस्पतालों में नहीं लगाए फायर प्रूफ दरवाजे, पीडब्ल्यूडी ने ब्लैकलिस्ट की कंपनी

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 03:06 PM (IST)

    दिल्ली के निर्माणाधीन छह आईसीयू अस्पतालों में घटिया गुणवत्ता वाले गैर-अग्निरोधी दरवाजे लगाने का मामला सामने आया है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व के अनुभवों को देखते हुए लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों सतर्क हैं, जिसके चलते नए आईसीयू अस्पतालों में अग्निरोधी दरवाजे लगाने के मामले में बड़ा घोटाला होते-होते बच गया। दिल्ली के छह अस्पताल में जिस कंपनी को दरवाजे लगाने का काम दिया गया था, उसने बगैर अग्निरोधी घटिया दरवाजे लगा दिए।

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    विभाग ने कंपनी को दो साल के लिए काली सूची में डाल दिया है। इस दौरान कंपनी लोक निर्माण विभाग में कोई भी काम नहीं कर सकेगी। इसके साथ ही कंपनी के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई है।

    दिल्ली सरकार की सात नए आईसीयू अस्पताल बनाने की योजना है, जिसमें 6,836 बेड की सुविधा होगी। इनमें से किराड़ी को छोड़कर छह अस्पताल का काम साल 2020-21 में शुरू किया गया था। लगभग सभी अस्पतालों का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।

    अफसरों का कहना है कि आईसीयू अस्पतालों में नान इन्सुलेटेड मेटल फायर डोर लगाए जाते हैं। जो अग्निरोधी होते हैं, ताकि आग लगने पर मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

    शालीमार बाग, सुल्तानपुरी, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, सरिता विहार और रघुवीर नगर आईसीयू अस्पताल में भी इसी किस्म के दरवाजे लगाने के लिए ठेकेदार को काम दिया गया था। ठेकेदार ने दरवाजे भी उपलब्ध करा दिए और उन्हें अस्पतालों में लगा भी दिया। लेकिन, जब दरवाजों की गुणवत्ता जांच की गई तो पता चला कि एजेंसी ने जो दरवाजे लगाए हैं वह अग्निरोधी नहीं हैं। इनकी गुणवत्ता भी खराब है।

    दरवाजों पर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जो स्टिकर लगे होते है, वह भी उन पर मौजूद नहीं थे, ताकि दरवाजे की गुणवत्ता के बार में किसी को कुछ पता न चले। अफसरों का कहना है कि टेंडर की शर्तों में भी इसी तरह के दरवाजे का जिक्र किया गया है।

    लेकिन, एजेंसे ने धोखाधड़ी की है और घटिया किस्म के दरवाजे आपूर्ति कर दिए। इसलिए एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर उसके खिलाफ थाने में शिकायत दी गई है। इस मामले की अब गंभीरत से जांच के आदेश दिए गए हैं।

    शुरू से ही विवादों में रहा इन अस्पतालों का निर्माण

    इन सात अस्पतालों का निर्माण उस समय कोरोना महामारी को देखते हुए शुरू कराया गया था। उस समय की आप सरकार ने दावा किया था कि 6 माह के अंदर अस्पताल तैयार हो जाएंगे। मगर यह पांच साल बाद भी तैयार नहीं हो सके हैं।

    इन्हें लेकर शुरू से विवाद इसलिए रहा कि जिस अधिकारी ने जिस दिन इन सात अस्पतालों का काम कंपनियों को देने का वर्क अवार्ड किया। वह उसी दिन सेवानिवृत्ति होने वाला था। उस समय की भारतीय जनता पार्टी ने इसे लेकर सवाल उठाया था और इस मामले की अभी एसीबी जांच चल रही है।

    पूर्व सरकार तय नहीं कर पा रही थी इनका भविष्य

    कोरोना कल के समाप्ति के बाद इन अस्पतालों का निर्माण कार्य धीमा हो गया था। पूर्व की सरकार ने इन अस्पतालों को पिछले दो सालों तक बजट तक नहीं दिया था और सरकार यह भी तय नहीं कर पा रही थी कि इनको किस रूप में चलाया जाए।

    दिल्ली में भाजपा सरकार के आने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इन्हें आइसीयू बेड के तौर पर ही शुरू करने की घोषणा की थी। उसके बाद से काम में कुछ तेजी आई है और इस बार बजट में इनका निर्माण कर पूरा करने के लिए कुछ फंड भी जारी हुआ है।

    यहां बनाए जा रहे हैं नए आईसीयू अस्पताल

    • सरिता विहार-336 बेड
    • रघुवीर नगर- 1565 बेड
    • शालीमार-1430 बेड
    • सुल्तानपुरी-525 बेड
    • चाचा नेहरू-610 बेड
    • गुरु तेग बहादुर-1912 बेड
    • किराड़ी में 458 बेड का आइसीयू अस्पताल बनना है, अभी काम शुरू नहीं हो सका है।

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