खूब जले प्रतिबंधित पटाखे, घंटों फैलता रहा धुआं; देखती रही दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस हरित पटाखों की बिक्री और जलाने के नियमों का पालन कराने में विफल रही। प्रतिबंधित पटाखे खुलेआम बिकते रहे और पुलिस कार्रवाई करने में नाकाम रही। केवल नीरी द्वारा प्रमाणित हरित पटाखों की बिक्री की अनुमति थी, लेकिन प्रतिबंधित पटाखे आसानी से उपलब्ध थे। पुलिस ने निगरानी दल बनाने का दावा किया, पर स्थिति नियंत्रण से बाहर रही।

दिल्ली पुलिस हरित पटाखों की बिक्री और जलाने के नियमों का पालन कराने में विफल रही।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस हरित पटाखों की बिक्री और फोड़ने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन कराने में पूरी तरह विफल रही। पुलिस न तो प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री रोक पाई और न ही तय समय सीमा के भीतर हरित या प्रतिबंधित पटाखे जलाने वालों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई कर पाई।
दिवाली पर समय पर पटाखे जलाने के नियमों का सख्ती से पालन न होने के कारण लोगों ने तरह-तरह के हरित और प्रतिबंधित पटाखे जलाए।
इस साल दिवाली के मद्देनजर राजधानी में केवल राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) द्वारा प्रमाणित हरित पटाखों की बिक्री की अनुमति थी। हरित पटाखों की बिक्री केवल तीन दिनों, 18 से 20 अक्टूबर तक, के लिए ही अनुमत थी।
कई शर्तों के साथ, दिल्ली पुलिस ने इस साल 168 व्यापारियों को हरित पटाखे बेचने के लाइसेंस दिए। कुल 188 व्यापारियों ने सभी 15 जिलों के डीसीपी कार्यालयों में लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 20 आवेदन मानदंडों को पूरा न करने के कारण खारिज कर दिए गए।
यह केवल कागजी कार्रवाई
ज़मीनी हक़ीक़त यह थी कि दिल्ली भर में किराना दुकानों से लेकर घरों तक, प्रतिबंधित पटाखे धड़ल्ले से बिक रहे थे और पुलिस उन्हें रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई।
पुलिस का दावा है कि पटाखों की जाँच के लिए हर ज़िले में विशेष निगरानी दल बनाए गए थे, जिनमें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एमसीडी, ज़िला प्रशासन और दिल्ली पुलिस के कर्मचारी शामिल थे। इन दलों ने अस्थायी दुकानों का औचक निरीक्षण करने का दावा किया, लेकिन यह महज़ औपचारिकता ही रही।
सभी ज़िला पुलिस ने पटाखा विक्रेताओं की जाँच के लिए हर उप-विभाग स्तर पर दल बनाने का दावा किया, लेकिन जिस तरह से प्रतिबंधित पटाखे जलाए गए, उससे पता चलता है कि लोगों को बाज़ारों में प्रतिबंधित पटाखे आसानी से मिल गए।
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