SC में मामला लंबित है तो वहां क्यों नहीं जा सकते? दिल्ली दंगों की जांच से जुड़ी याचिका पर दिल्ली HC का सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों की जांच से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वे सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जा सकते, जहां इसी मामले से संबंधित एक याचिका पहले से ही लंबित है। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में इंप्लीमेंटेशन एप्लीकेशन दाखिल कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के फरवरी-2020 दंगों की विशेष जांच दल से विशेष जांच कराने व भड़काऊ भाषण देने के लिए राजनेताओं और दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर करने की मांग से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट ने पक्षकारों से पूछा कि वे सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जा सकते हैं?
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने यह भी पूछा कि लंबित याचिकाकर्ता इसी तथ्यों पर आधारित मामले में इंप्लीमेंटेशन एप्लीकेशन क्यों नहीं फाइल कर सकते हैं? उक्त सवाल करते हुए पीठ ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने ये सवाल तब किए जब सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) रजत नायर ने कहा कि याचिकाकर्ता वृंदा करात की इसी तरह की प्रार्थनाओं की मांग वाली एक याचिका में मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा-156(3) के तहत आवेदन खारिज कर दी थी।
इसके बाद हाई कोर्ट एकल पीठ ने भी इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और बैच में मांगी गई सभी प्रार्थनाएं वहां लंबित याचिका में शामिल हैं। इस पर पीठ ने सुझाव दिया कि पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट जाना और वहां इंप्लीमेंटेशन एप्लीकेशन फाइल करना सही होगा।
पीठ ने कहा कि अलग-अलग पिटीशन में एक ही फैक्ट्स और घटनाओं के बारे में अलग-अलग आदेश नहीं हो सकते हैं। अगर एक ही तथ्यों पर याचिका के एक सेट में पहले ही आदेश पास हो चुका है और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो क्या यहां दूसरी याचिका पर ध्यान भी देना चाहिए?
इस पर याचिकाकर्ताओं की तरफ पेश हुए वरिष्ठ वकील कालिन गोंसाल्वेस ने जवाब दिया कि मांग राज्य के बाहर के अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी जांच के लिए है, इसलिए ऐसी राहत केवल संवैधानिक कोर्ट ही दे सकता है। इस पर पीठ ने गोंसाल्वेस से याचिका के तथ्यों पर स्पष्टता के लिए सीआरपीसी प्रक्रिया की धारा सेक्शन 156(3) की जानकारी पेश करने काे कहा। मामले में आगे की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर कर सर्वोच्च न्यायालय या दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल द्वारा मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। इसमें मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस के सदस्यों को इस एसआईटी से बाहर रखा जाए।
वहीं, एक अन्य याचिका शेख मुज्तबा द्वारा दायर की गई है, इसमें दंगों को भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण देने के लिए भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जांच की मांग की गई है।
लाॅयर्स वाॅइस की ओर से दायर याचिका में कई अन्य राजनेताओं के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा भी विभिन्न मांगों को लेकर अन्य याचिका दायर की गई है। अजय गौतम की अर्जी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की फंडिंग की जांच एनआई से करने की मांग की गई है।

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