दिल्ली में बढ़ रहीं सड़क दुर्घटनाएं, DTC बस ड्राइवरों पर उठ रहे सवाल; क्या कह रहे अधिकारी?
दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है, खासकर डीटीसी बसों से जुड़ी दुर्घटनाएं। नागरिकों ने डीटीसी ड्राइवरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। अधिकारी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और ड्राइवरों को प्रशिक्षित करने के लिए कदम उठा रहे हैं। सड़क सुरक्षा में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
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DTC बस की दुर्घटनाएं दिल्ली में इन दिनों बढ़ गई है।
वीके शुक्ला, जागरण। डीटीसी की बसों से दुर्घटनाएं एकाएक बढ़ गई हैं। अक्टूबर में ही अभी तक इन बसों से पांच दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इन में लोगों की जान भी गई है कई लोग घायल हुए हैं। इससे उन चालकों पर भी सवाल उठ रहा है जिनके हाथ में इन बसों की स्टेयरिंग है।
डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन की मानें तो डीटीसी बसों की स्टेयरिंग अब प्राइवेट कंपनियों के अनाड़ी चालकों के हाथ में है। जबकि डीटीसी के 6000 अनुभवी चालक खाली बैठे हैं। इनमें से काेई बसों में टिकटों की जांच कर रहा है तो कोई चौकीदारी कर अपनी ड्यूटी पूरी रहा है। इस बारे में परिवहन मंत्री डॉ पंकज सिंह से पक्ष लेने का प्रयास किया गया जो उपलब्ध नहीं हो सका।
डीटीसी में 8000 चालक हैं। सरकार का दावा है कि डीटीसी के पास 1000 से अधिक बसें अपनी हैं, जिन पर उनके अपने चालक हैं। ऐसे में 2000 चालकों को अलग कर दें तो भी 6000 चालकों के पास बस चलाने का काम नहीं है। पूर्व में जाएं तो डीटीसी में कभी 100 प्रतिशत अपनी बसें हुआ करती थीं।
एक बस के लिए कम से दो चालकों की नियुक्ति होती थी। जब नियमित चालकों की कमी हुई तो 4000 बस चालक डीटीसी ने अनुबंध पर रख लिए। इस वर्ष अचानक डीटीसी की 3000 बसें सड़कों से हट गईं तो 6000 चालकों का भविष्य भी दांव पर लग गया है।
इलेक्ट्रिक बसों की बात करें तो तीन वर्ष पहले दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसें आनी शुरू हुई थीं। इलेक्ट्रिक बसों के आने के समय से ही आनी शुरू हुईं तो डीटीसी के कर्मचारियों प्राइवेट कंपनियों की बसों का विरोध कर रहे हैं। इस समय डीटीसी में 2600 इलेक्ट्रिक बसें हैं, लेकिन अधिकतर बसें निजी कंपनियों की हैं।
इन बसों में केवल कंडक्टर डीटीसी के हैं। इन सभी निजी बसों पर डीटीसी और डिम्ट्स के तहत चल रहीं बसों पर परिवहन विभाग लिखा है। अधिकतर इलेक्ट्रिक बसें प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से किलोमीटर स्कीम के तहत चलाई जा रही हैं। इन पर कंपनियों के ही अपने चालक हैं।
दिल्ली सरकार के निर्देश पर सेवा विभाग ने एक आदेश जारी किया है। इसमें सभी विभागों को सूचित किया गया है कि जिस भी विभाग को चालकों की आवश्यकता है, वे डीटीसी से ले सकते हैं। उन्हें डीटीसी द्वारा निर्धारित वेतन का भुगतान करना होगा। कुछ विभागों ने चालक लिए भी हैं। बसों में कंपनियों द्वारा अपने चालक लगाने का करार पूर्व की आप सरकार ने किया था।
...तो नौकरी भी बचेगी और हादसे भी कम होंगे
डीटीसी प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से ऐसे चालकों के हाथ में बसें दे रही हैं, जो अनाड़ी हैं। इसकी वजह से डीटीसी के अंतर्गत चल रहीं निजी बसों से दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं। इससे डीटीसी का नाम खराब हो रहा है। डीटीसी के पास अपने 6000 अनुभवी चालक हैं, जो खाली बैठे हैं। इनको बसें देकर लोगों की सुरक्षा से हो रहे खिलवाड़ और चालकों की नौकरी दोनों को बचाया जा सकता है। डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी ने इन बसों में डीटीसी के खाली बैठे चालकों को लगाने की मांग की है।
डीटीसी बसों से कुछ प्रमुख घटनाएं
-27 अक्टूबर-यूइआर-2 स्थित बरवाला चौक पर डीटीसी की बस ने चार वाहनों को टक्कर मार दी।
-26 अक्टूबर-देर रात गगन सिनेमा के सामने मंदिर के पास खड़ी पुलिस की पीसीआर वैन को तेज रफ्तार डीटीसी बस ने जोरदार टक्कर मारी, चार घायल
-25 अक्टूबर-ब्रजपुरी रोड पर फीडर बस ने एक बाइक को टक्कर मार दी, बाइक सवार की मौत
-15 अक्टूबर-शाहदरा के फर्श बाजार इलाके में डीटीसी की देवी बस ने स्कूल वैन समेत तीन गाड़ियों को टक्कर मारी। एक की मौत दो जख्मी
-4 अक्टूबर- ओखला इलाके में डीटीसी की इलेक्ट्रिक बस ने बाइक सवार को कुचल दिया, शख्स की मौत।

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