दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में बड़ा उलटफेर, सरना बंधुओं और जीके की सदस्यता की गई रद
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की जनरल हाउस बैठक में परमजीत सिंह सरना, हरविंदर सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके की सदस्यता रद करने का प्रस्ताव पारित हुआ। अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने भ्रष्टाचार के आरोपों का हवाला दिया, जबकि एसजीपीसी ने बैठक को अवैध बताया। जीके ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी और दिल्ली सरकार पर दबाव का आरोप लगाया।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की विशेष जनरल हाउस बैठक को संबोधित करते अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका। सौजन्यःडीएसजीएमसी
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) की जनरल हाउस बैठक में पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना, हरविंदर सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके की सदस्यता रद करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा, तीनों के ऊपर अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार की शिकायत है। उन्हें जवाब देने का समय दिया गया था। न तो उचित जवाब दिया और न बैठक में शामिल होकर अपना पक्ष रखा।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इस बैठक को अवैध बताया। शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने भी इसका विरोध किया है। बैठक के बाद कालका ने कहा, गुरुद्वारा चुनाव निदेशक और दिल्ली सरकार ने डीएसजीेएमसी को तीनों पूर्व अध्यक्षों के विरुद्ध शिकायतों पर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
सभी 50 सदस्यों को शिकायत की कापी भेजकर कार्रवाई के लिए सुझाव मांगे गए थे। सरना बंधुओं व जीके ने न तो आरोपों का खंडन किया और न संतोषजनक जवाब दिया। शनिवार को हुई जनरल हाउस की बैठक में उपस्थित 38 सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर उनकी सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव पास किया।
प्रस्ताव की प्रति अब गुरुद्वारा चुनाव निदेशक और दिल्ली सरकार को भेजी जाएगी। यह कार्रवाई दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी एक्ट के अंतर्गत की गई है। उन्होंने श्री अकाल तख्त से बैठक रोकने को लेकर किसी तरह का संदेश मिलने से मना किया।
महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने कहा, अध्यक्ष रहते हुए सरना बंधुओं ने गुरु के गोलक का दुरुपयोग कर कंपनियों के नाम पर और जीके ने अपने स्वजन के नाम पर चेक का भुगतान कराया था।
जीके ने कहा कि कालका जानते हैं कि दिल्ली कमेटी एक्ट में किसी निर्वाचित सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए उन्होंने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि इसके लिए उनके ऊपर दिल्ली सरकार का दबाव था।
श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ने भी इस बैठक पर रोक लगाई थी, लेकिन उन्हें डीएसजीएमसी कार्यालय में नहीं जाने दिया गया। उन्होंने सदस्यता समाप्त करने की सरकारी अधिसूचना दिखाने की भी चुनौती दी। उन्होंने डीएसजीएमसी प्रबंधन पर धार्मिक भावना भड़काने व मानहानि की कानूनी कार्रवाई करने और श्री अकाल तख्त साहिब पर धार्मिक अनादर की शिकायत करने की घोषणा की।

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