Goa Fire Incident: पिता के कांधों पर उठी तीन बेटियों की अर्थी, आखिरी बार चेहरा तक नहीं देख सके स्वजन
गोवा में एक दर्दनाक घटना में, दिल्ली के सादतपुर के एक ही परिवार के चार सदस्यों की आग लगने से मौत हो गई। परिवार छुट्टी मनाने गया था। मृतकों के शव सोमवा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। हंसी खुशी छुट्टियां मनाने के लिए गोवा गए एक ही परिवार के चार सदस्यों के शव जली हालत में सोमवार दोपहर जब सादतपुर एक्सटेंशन पहुंचे तो खामोशी छा गई। अंतिम दर्शन के लिए इलाके के लोगों की भीड़ जमा थी।
शवों को देखते ही हर आंख नम हो गई। 20 मिनट तक विनोद कुमार, उनकी भाभी कमला जोशी, दो साली अनीता जोशी व सरोज जोशी के शव को घर पर रखा। बच्चे अपनी मां को देखने के लिए बिलखते रहे थे।
लेकिन, शवों की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे देख भी पाएं। बच्चों व घर की महिलाओं को किसी तरह से समझाया गया। चारों शवों को परिवार के सदस्य निगम बोध घाट ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया।
विनोद के परिवार ने कहा कि उनकी साली सरोज टूर एंड ट्रेवल का काम करती थी। एक कंपनी की तरफ से सरोज को गोवा का फैमिली टूर पैकेज मिला था। परिवार के सदस्य एक माह से गोवा घूमने की तैयारी कर रहे थे।
स्कूल की वजह से वह बच्चों को लेकर नहीं गए थे। परिवार ने कहा कि उन चारों को मौत खिंचकर क्लब में लेकर गई थी। वह पहले एक रेस्तरां गए थे, वह उन्हें पसंद नहीं आया था। जिसके बाद वह क्लब में गए थे।
आग लगने पर विनोद ने पहले अपनी भाभी भावना को बाहर निकाला। वह अपनी पत्नी व सालियों को बचाने लगा तो आग की लपटों में घिरता चला गया। हादसे में भावना की जान बच गई है, वह शवों के साथ दिल्ली लौट आई। हादसे से बेहद टूट चुकी है। वह हादसे को लेकर किसी से बात करने को तैयार नहीं है।
79 साल के पिता ने तीन बेटियों और दामाद को दिया कंधा
रोहिणी सेक्टर-24 में रहने वाले दिल्ली जल बोर्ड से सेवानिवृत्त 70 वर्षीय बालकृष्ण जोशी सोमवार को अपनी पत्नी सावित्री के साथ सादतपुर एक्सटेंशन स्थित अपनी बेटी भावना जोशी की ससुराल में थे। उनकी निगाहे कभी सड़क तो कभी हाथ पर बंधी घड़ी पर जातीं।
वह अपनी चारों बेटियों की एक झलक देखने को बेताब थे। मायूसी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। दोपहर में जब एंबुलेंस चारों शवों को लेकर पहुंची तो वह फफक पड़े।
लड़खड़ाते हुए कदम व कंपकंपाते हाथों से उन्होंने एक-एक करके तीन बेटियां व एक दामाद की अर्थी को कंधा दिया। हादसे में जीवित बची बेटी भावना से लिपटकर बहुत रोए।
बालकृष्ण ने बताया कि उनके कोई बेटा नहीं है। चार बेटियां ही थीं। एक बेटी की शादी नहीं हुई थी। उन्होंने एक बेटी की शादी सादतपुर में नवीन व दूसरी की इसके छोटे भाई विनोद से की थी। तीसरी बेटी की शादी डेढ़ साल पहले लखनऊ में की थी। लेकिन वह दिल्ली में ही रह रही थी।
कई साल तक रामलीला में निभाया श्रीराम का किरदार
सादतपुर एक्सटेंशन में स्थानीय स्तर पर होने वाली रामलीला में विनोद ने कई वर्षों तक श्रीराम का किरदार निभाया। विनोद के किरदार की बात करते हुए उनके साथ लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले प्रवीण बिष्ट की आंखों से आंसू छलक उठे।
उन्हाेंने अपने फोन में रामलीला के कई फोटो दिखाए। उन्होंने कहा कि विनोद जैसा व्यक्ति होना बहुत मुश्किल है। जब वह प्रभु श्रीराम का किरदार निभाते थे उनके जीवन में डूब जाते थे। वह दोस्त भी बहुत अच्छे थे। भले ही वैशाली में रहने लगे थे, लेकिन जब वह सादतपुर आते थे तो उनसे मिलते थे।
तीन साल से वसुंधरा में रह रहे थे विनोद कुमार
विनोद कुमार पिछले तीन साल से वसुंधरा सेक्टर 15 के मकान संख्या 986 के द्वितीय तल पर रह रहे थे। उन्होंने तीन साल पहले यह फ्लैट खरीदा था। पड़ोसियों ने बताया कि वह यहां पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते थे। सोमवार को उनका घर बंद था। पड़ोसियों का कहना है कि विनोद काफी मिलनसार व खुशमिजाज व्यक्ति थे। उनका परिवार भी सबके साथ मिलजुलकर रहता है।

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