किरायेदार होकर खुद को बताया प्रॉपर्टी का मालिक, दिल्ली HC ने याचिकाकर्ता पर लगाया एक लाख का जुर्माना
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक किरायेदार को संपत्ति का मालिक बताने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छिपाकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। पहले भी अवैध निर्माण से जुड़ी याचिकाओं पर जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने याचिकाकर्ता को जुर्माना दिल्ली हाई कोर्ट बार क्लर्क एसोसिएशन के खाते में जमा करने का आदेश दिया।
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किरायेदार होकर खुद को बताया प्रॉपर्टी का मालिक, दिल्ली HC ने याचिकाकर्ता पर लगाया एक लाख का जुर्माना।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संपत्ति का किरायेदार होकर खुद को मालिक बताते हुए दायर की गई एक याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता अरुण सूद पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
एक के बाद एक इस तरह के कई मामले सामने आने पर गंभीर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि ये सभी मामले संपत्ति और अवैध निर्माण से जुड़े विवादों से जुड़े हैं। इनमें वादियों ने ब्लैकमेल और जबरन वसूली करने, बिल्डरों पर दबाव डालने और अदालत को धोखा देने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश की है।
इससे पहले भी अदालत ने अवैध निर्माण व संपत्ति के संबंध में झूठी जानकारी देने से जुड़ी याचिकाओं को जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया था। टाइपिंग की गलती होने के याची के तर्क को ठुकराते हुए पीठ ने कहा कि वर्तमान याचिका पर इसलिए विचार किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता ने अदालत समक्ष कहा कि वह संबंधित संपत्ति का मालिक/कब्जाधारी है।
याचिकाकर्ता का तथ्यों को छिपाने और अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करने के इरादे से अदालत के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत करने का दोषी है और वर्तमान याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। ऐसे में याचिका पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को यह धनराशि दिल्ली हाई कोर्ट बार क्लर्क एसोसिएशन के खाते में चार सप्ताह के अंदर भुगतान करे। अदालत ने नोट किया कि याचिकाकर्ता अरुण सूद ने संबंधित संपत्ति के वास्तविक मालिकों के साथ अपने निजी रंजिश को निपटाने के लिए याचिका दायर की थी, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ बेदखली का आदेश पहले ही जारी किया जा चुका था।
अदालत ने उक्त टिप्पणी व आदेश तब दिया कि जब संपत्ति के मालिक ने पीठ को सूचित किया कि खुद को मालिक बताने वाला याचिकाकर्ता एक किराएदार है और उसे संपत्ति को खाली करने के संबंध में 23 अक्टूबर 2021 में तीस हजारी कोर्ट के रेंट कंट्रोलर ने आदेश दिया था। इस पर जब अदालत ने याची से जवाब मांगा तो उसने कहा कि यह एक टाइपिंग की गलती थी।

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