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    Tattoo बनवाने से कोई सेना में भर्ती के लिए अयोग्य कैसे हो गया ? दिल्ली HC ने गृह मंत्रालय से मांगा जवाब

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 09:33 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने सीआरपीएफ भर्ती में दाहिनी बांह पर टैटू वाले उम्मीदवारों को प्रतिबंधित करने के नियम पर गृह मंत्रालय से जवाब मांगा है। अदालत ने इस नियम को प्रथम दृष्टया संदिग्ध बताते हुए पूछा कि क्या यह कानूनन मान्य है। याचिकाकर्ता विपिन कुमार को दाहिनी बांह पर टैटू के कारण अयोग्य घोषित किया गया था। अदालत ने कहा कि दाहिने हाथ पर टैटू होने से किसी को सेना में भर्ती के लिए अयोग्य कैसे ठहराया जा सकता है। अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

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    दिल्ली HC ने गृह मंत्रालय से मांगा जवाब।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दाहिनी बांह पर टैटू बनवाने वाले उम्मीदवारों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CRPF) शामिल होने से प्रतिबंधित करने के गृह मंत्रालय के नियम पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है।

    दिशानिर्देश को प्रथमदृष्टया संदिग्ध बताते हुए न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने गृह मंत्रालय की तरफ से पेश हुए वकील से पूछा कि क्या ऐसा दिशानिर्देश कानूनन मान्य है? अदालत ने याचिका पर गृह मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले पर अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

    मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार टैटू केवल बायीं बाजू पर ही स्वीकार्य हैं, जिसे सलामी न देने वाला अंग माना जाता है और इसका आकार सीमित होना चाहिए।

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    नियमों में आगे कहा गया है कि केवल धार्मिक प्रतीकों या नामों वाले टैटू ही स्वीकार्य हैं। सरकार का कहना है कि यह प्रतिबंध सुव्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने और पश्चिमी प्रभाव वाली त्वचा कला के प्रसार को रोकने के लिए है।

    दिशानिर्देशों पर सवाल उठाते हुए पीठ ने कहा कि अगर टैटू शरीर के पारंपरिक हिस्सों जैसे बाजू के अंदरूनी हिस्से पर हैं, तो अधिकारियों को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता।

    अधिकारी इस बात से सहमत हैं कि टैटू केवल बायीं बाजू पर हो, दायीं पर नहीं। अदालत ने उक्त टिप्पणी उम्मीदवार विपिन कुमार की याचिका पर की। याचिकाकर्ता ने सीआरपीएफ में मोटर मैकेनिक वाहन के पद से अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी।

    विपिन कुमार को उनकी दाहिनी बाजू पर टैटू होने के कारण नियुक्ति से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें अनुमति दी जाती है, तो वे टैटू हटाने के लिए सर्जरी करवाएंगे।

    पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया, हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि किसी उम्मीदवार के दाहिने हाथ पर केवल एक टैटू होने मात्र से उसे सेना में भर्ती के लिए कैसे अयोग्य ठहराया जा सकता है?

    दिशानिर्देशों के अनुसार, भारतीय सेना में प्रचलित धार्मिक प्रतीक या आकृति और नाम वाले टैटू की अनुमति है। नियम के आधार पर सवाल उठाते हुए पीठ ने अधिकारियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता को अयोग्य ठहराने का आधार संदिग्ध हो सकता है।

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