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    आईआईटी दिल्ली: नदी शहरों को हरित बनाने की पहल

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 04:30 PM (IST)

    आईआईटी दिल्ली नदी शहरों के लिए प्रकृति-आधारित समाधान विकसित कर रहा है, जिसका उद्देश्य शहरी विकास में स्थिरता लाना है। यह परियोजना नदियों के आसपास के श ...और पढ़ें

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    जल शक्ति मंत्रालय (MoJS) और राष्ट्रीय मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) के तहत, आईआईटी दिल्ली के वॉटर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने 25 नवंबर 2025 को नदी शहरों के लिए नेचर-आधारित समाधान (NbS) टूलकिट के विकास के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय इनसेप्शन और योजना कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में शहरी नदी शहरों की लचीलापन क्षमता बढ़ाने के लिए नेचर-आधारित समाधानों पर काम करने वाले शिक्षाविदों, नीति विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों को एकत्र किया गया।

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    नेचर-आधारित समाधान (NbS) क्या हैं?
    NbS ऐसे सरल, स्मार्ट और टिकाऊ उपाय हैं, जैसे जलाशयों का पुनरुद्धार, फ्लडप्लेन का पुनर्निर्माण या ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण, जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग कर शहरी समस्याओं जैसे बाढ़, प्रदूषण और हीट स्ट्रेस को हल करते हैं। इस संदर्भ में टूलकिट का मतलब है ऐसा व्यावहारिक उपकरण, जिसे सरकार NbS हस्तक्षेपों की योजना बनाने, मूल्यांकन करने और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए इस्तेमाल कर सके। IIT दिल्ली द्वारा विकसित किया जा रहा यह टूलकिट भारत के नदी शहरों को स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक लचीला बनाने में मदद करेगा।

    वर्कशॉप के उद्देश्य और चर्चा के मुख्य बिंदु:

    NbS योजना और प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए डेटा-आधारित फ्रेमवर्क और टूल विकसित करना।

    राष्ट्रीय NbS टूलकिट के लिए आवश्यक सामान्य डेटा सेट, संकेतक और पद्धतियाँ तय करना।

    प्रस्तावित टूलकिट को MoJS/NMCG की चल रही पहलों, जैसे रिवर सिटीज़ अलायंस (RCA) में शामिल करना।

    कार्यशाला में नीदरलैंड्स दूतावास, Rijkswaterstaat, Deltares, NIUA, TERI, TNC, WELL Labs, WWF-India, WRI India, CEEW, NDMA, UNDP, UNEP और IIT दिल्ली जैसे कई प्रमुख साझेदार संस्थाओं ने भाग लिया। इन संस्थाओं ने शहरी वेटलैंड्स पुनरुद्धार, फ्लडप्लेन बहाली, ब्लू-ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर, जलवायु-प्रतिरोधक शहर योजना, सामुदायिक नदी कॉरिडोर पहल और उन्नत मॉडलिंग और निर्णय-समर्थन टूल सहित विभिन्न NbS उपायों को प्रदर्शित किया, जिससे प्रस्तावित NbS टूलकिट के निर्माण में बहु-आयामी इनपुट मिले।

    वर्कशॉप के प्रमुख संयोजक प्रो. सौमावा डे और प्रो. मनबेंद्र सहारिया ने कहा, “NMCG अब नेचर-आधारित समाधानों को गंगा और अन्य नदियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए अपनाने और बढ़ावा देने लगा है। नदी शहर अब उभरते प्रदूषक पदार्थों जैसी नई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह कार्यशाला पारंपरिक NbS उपायों के साथ-साथ इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियों के डिज़ाइन पर संवाद शुरू करने के लिए आयोजित की गई।”
    जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और भूमि उपयोग के बदलते पैटर्न के कारण नदी प्रणालियाँ लगातार दबाव में हैं। प्रतिभागियों ने प्राकृतिक जल प्रबंधन कार्यों की बहाली, पारिस्थितिक लचीलापन बढ़ाने और पारंपरिक कंक्रीट इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरक बनाने में NbS की अहम भूमिका पर जोर दिया और इस टूलकिट के विकास का स्वागत किया।