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    'तेरे नाम से जी लूं, तेरे नाम से मर जाऊं...’, दिल्ली में मेहर रंगत महोत्सव-2025 में कैलाश खेर ने बांधा समां

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 10:10 AM (IST)

    मेहर रंगत महोत्सव-2025 में कैलाश खेर ने अपने गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कनाॅट प्लेस में आयोजित इस कार्यक्रम में, कैलाश खेर ने अपने पिता की स्मृति में प्रस्तुति दी। दैनिक जागरण इस आयोजन का मीडिया पार्टनर था। दर्शकों ने उनके गानों पर जमकर नृत्य किया और लोक कला का आनंद लिया। खेर ने संगीत को देश की एकता के लिए महत्वपूर्ण बताया।

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    मेहर रंगत महोत्सव-2025 के सातवें संस्करण का धूमधाम से आयोजन किया गया। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तेरे नाम से जी लूं तेरे नाम से मर जाऊं’, ‘छलिया हो छलिया, ओ रंगीले, आज मुझमे उतरे आदियोगी, तौबा तौबा, जय जयकारा ... ये गीत शुक्रवार की देर शाम तक कनाॅट प्लेस के सेंट्रल पार्क में गूंजते रहे।

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    मौका था मेहर रंगत महोत्सव-2025 के सातवें संस्करण का। इसमें मशहूर गायक व पद्मश्री कैलाश खेर ने अपने सुरों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उत्सव का आयोजन खेर ने अपने पिता मेहर खेर की स्मृति में आयोजित किया।

    यह आयोजन कैलासा एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से किया गया। जिसमें दैनिक जागरण ने मीडिया पार्टनर की भूमिका निभाई। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता उपस्थित रहीं।

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    कैलाश खेर के गीतों से समूचा माहौल संगीतयम हो गया। उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। पार्क में प्रवेश के लिए रोड तक लोगों की लंबी कतार लगी रही। देर शाम ठंड के बीच लोग उनके गीतों पर झूमते दिखे।

    इस उत्सव में देसी के साथ विदेशी मेहमान भी जमकर थिरकते नजर आए। इस दौरान लोक कला व संस्कृति की झलक देखने को मिली। श्रोताओं के फरमाइश पर लगातार उन्होंने कई बेहतरीन गीतों से सभी का भरपूर मनोरंजन किया।

    इस दौरान कैलासा बैंड के साथ उनके गीतों की जुगलबंदी देखते ही बन रही थी। लोगों को भी उन्होंने अपने साथ गाने पर मजबूर कर दिया। उनके मंच पर आते ही चारों ओर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी और फोन की फ्लैश लाइट जल उठे। वह गानों के बीच में मंच से लोक कला को आगे बढ़ाने व संजोने का संदेश देते रहे।

    महोत्सव में कैलाश के गीतों पर तो लोग झूमे ही साथ ही इस वर्ष रामवीर नाथ सोडा एवं बीन जोगी की प्राचीन सपेरों की स्वरलहरी, पद्मश्री दादी पुदुमजी के नेतृत्व में इशारा पपेट थिएटर ट्रस्ट की मनमोहक कठपुतली कला की प्रस्तुति दी गई।

    आमिर भियानी एवं आर भारत ब्रास बैंड के जोशीले ब्रास फ्यूजन, हीरा सापेरा और उनके दल की मंत्रमुग्ध कर देने वाली कालबेलिया नृत्य, मेवाड़ के जुम्मे खान की हास्यपूर्ण संगीतमय कथा- गायकी, नथ्थूलाल सोलंकी एवं पुष्कर वादक दल के गगनभेदी नगाड़ों की धुन और फिरेराजा एवं फिरेरानी के रोमांचक अग्नि नृत्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

    इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य देश की लोक परंपराओं की समृद्ध झलक को मंच प्रदान करना है। साथ ही देशभर के लोक कलाकारों को एक साथ लाकर संगीत, नृत्य और प्रदर्शन कला के जरिये सांस्कृतिक विरासत की अनूठी कहानियां भी पेश की।

    इस अवसर पर कैलाश खैर ने कहा कि विकसित भारत का संदेश की साकार करने में संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका है। जो आप कई बार बोलकर नहीं कह सकते वह संगीत के माध्यम से गाकर कह सकते है। देश की एकता के सूत्र में पिरोने में संगीत का हमेशा से अहम योगदान रहा है।

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