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    कनार्टक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार 19 दिसंबर तक पेश हों या..., National Herald केस में दिल्ली पुलिस का नोटिस

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 09:14 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने नेशनल हेराल्ड मामले में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को नोटिस जारी किया है। उनसे वित्तीय लेन-देन और अन् ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड से जुड़े आर्थिक अनियमितताओं मामलों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लयू) ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को नोटिस जारी किया है। उनसे वित्तीय लेन-देन और अन्य संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा गया है।

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    29 नवंबर को भेजे गए इस नोटिस में शिवकुमार से कहा गया है कि वे 19 दिसंबर तक जांच अधिकारियों के सामने पेश हों या मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा दें। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, शिवकुमार के पास इस केस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारी मौजूद हैं, जिनकी चल रही जांच में जरूरत है।

    आर्थिक अपराध शाखा ने उनसे उनके व्यक्तिगत बैकग्राउंड, कांग्रेस पार्टी से जुड़ाव, और उन फंड्स का पूरा ब्योरा मांगा है, जो कथित तौर पर उनसे या उनसे जुड़े संस्थानों द्वारा यंग इंडियन को भेजे गए थे।

    जांचकर्ताओं ने बैंक ट्रांसफरों के उद्देश्य, पैसों के स्रोत, यंग इंडियन या एआईसीसी के पदाधिकारियों से किसी संवाद और इन भुगतानों के पीछे किसके निर्देश थे इन सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। इसके अलावा पुलिस ने उनके इनकम टैक्स रिकार्ड, फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स और दान से संबंधित किसी प्रमाणपत्र की प्रतियां भी उपलब्ध कराने को कहा है।

    वहीं, शिवकुमार के करीबी सूत्रों ने इसे राजनीतिक कार्रवाई बताया और दावा किया कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे भाजपा के दबाव में नहीं आए। सूत्रों ने यह भी कहा कि शिवकुमार उन कांग्रेस नेताओं में हैं जिन्हें सबसे ज्यादा परेशान किया जा रहा है, लेकिन इससे उनका मनोबल नहीं टूटेगा।

    बता दें कि नेशनल हेराल्ड केस 2013 में शुरू हुआ था, जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की लगभग 988 करोड़ मूल्य की संपत्तियां, 2010 में हुए एक सौदे के जरिए यंग इंडियन कंपनी को 50 लाख में ट्रांसफर की गईं।

    यंग इंडियन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की संयुक्त हिस्सेदारी 76 प्रतिशत है। ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात से जुड़े आरोप शामिल हैं।

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