फांसीघर विवाद में केजरीवाल-सिसोदिया को नोटिस, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष से भी जवाब तलब
दिल्ली विधानसभा परिसर में फांसीघर विवाद के बाद विशेषाधिकार समिति ने आप के पूर्व मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया रामनिवास गोयल और राखी बिड़ला को नोटिस जारी कर 19 सितंबर तक जवाब मांगा गया है। समिति का कहना है कि आप सरकार ने विधानसभा के एक हिस्से को फांसीघर बताकर पेश किया था जबकि यह टिफिन रूम है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा परिसर के कथित ‘फांसीघर’ को लेकर उपजे विवाद के बाद विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्व सरकार के मंत्रियों के साथ ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
समिति ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व अध्यक्ष रामनिवास गोयल और पूर्व उपाध्यक्ष राखी बिड़ला को नोटिस जारी कर फांसीघर के मामले में 19 सितंबर तक जवाब मांगा है।
असल में, 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने विधानसभा परिसर के एक हिस्से को ‘फांसीघर’ बताकर जनता के सामने पेश किया। इसे स्वतंत्रता सेनानियों की बलिदानी स्मृति से जोड़ते हुए वहां प्रतीकात्मक फंदा, सजावट और मूर्तियां लगाई गईं।
तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल और अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने इसे ऐतिहासिक धरोहर बताकर प्रचारित किया। दावा किया गया कि यह ब्रिटिश काल का वह स्थान था, जहां स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी जाती थी और यहां से एक गुप्त सुरंग लाल किले तक जाती थी।
सरकार बदली और भाजपा की सरकार आने के बाद वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और अधिकारियों ने नेशनल आर्काइव्स और 1912 के आर्किटेक्चरल मैप्स का हवाला देते हुए कहा कि फांसीघर था ही नहीं।
उन्होंने कहा कि वह जगह फांसीघर नहीं दरअसल टिफिन रूम थी, जहां से एक लिफ्ट जैसे उपकरण के जरिये भोजन पहुंचाया जाता था। किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेज में इसे ‘फांसीघर’ नहीं बताया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, सुरंग भी कोई ऐतिहासिक गुप्त मार्ग नहीं बल्कि वेंटिलेशन और सर्विस डक्ट का हिस्सा था। वर्तमान भाजपा सरकार ने आप पर जनता को गुमराह करने और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ने का आरोप लगाया है। अब इस मामले में प्रिविलेज कमेटी के समक्ष चारों नेताओं को जवाब देना होगा।
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