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    'शंकर' ने दो दिन से छोड़ रखा था खाना, दिल्ली चिड़ियाघर में जिम्बाब्वे से उपहार में मिले अफ्रीकी हाथी की मौत

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 12:42 AM (IST)

    दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में अफ्रीकी हाथी शंकर की मृत्यु हो गई। शंकर को जंजीरों में बांधने के कारण वाजा ने चिड़ियाघर की सदस्यता निलंबित कर दी थी। शंकर दो दिन से खाना नहीं खा रहा था। केंद्रीय मंत्री के प्रयासों से उसे जंजीर मुक्त किया गया था। शंकर को 1996 में जिम्बाब्वे सरकार ने भारत को उपहार में दिया था।

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    अफ्रीकन हाथ शंकर ने दो दिन से छोड़ रखा था खाना।

    रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में बुधवार रात अफ्रीकी हाथी शंकर की मृत्यु हो गई। यह वही हाथी है, जिसे कुछ समय पहले चिड़ियाघर प्रशासन ने जंजीरों में जकड़ा था। इसकी वजह से जंजीर शंकर के पैर में घुस गई थी।

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    मामला प्रकाश में आने के बाद चिड़ियाघर और एक्वेरियम के वैश्विक संघ (वाजा) ने अक्टूबर, 2024 में दिल्ली चिड़ियाघर की सदस्यता छह माह के लिए निलंबित की थी।

    वाजा ने शंकर की हालत को लेकर बीते वर्ष केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को पत्र भेजकर इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा था कि हाथी को लगातार इस तरह जंजीर में बांधना अनैतिक है।

    शंकर की मौत के कारणों का अभी पता नहीं चल है। आरोप है कि 13 नंबर बाड़े में रह रहे 33 वर्षीय शंकर हाथी को प्रशासन की गंभीर लापरवाही का शिकार अपनी मौत से चुकाना पड़ा है।

    भारत में मैसूर के बाद दूसरा नर अफ्रीकी हाथी दिल्ली चिड़ियाघर में था। लेकिन शंकर की मौत के बाद भारत में केवल एक ही अफ्रीकी हाथी बचा है। सूत्रों के मुताबिक शंकर ने दो दिन से खाना छोड़ रखा था, जो उसकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति का संकेत था।

    केंद्रीय मंत्री के प्रयासों के बाद मिला था चिकित्सक

    केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के प्रयासों के बाद शंकर को जंजीर मुक्त किया गया था।

    सूत्रों के मुताबिक शंकर के लिए तभी एक विशेष पशु चिकित्सक भी नियुक्त किया गया था, जो चिड़ियाघर परिसर में ही तैनात रहता था, ताकि शंकर के स्वास्थ्य पर नियमित निगरानी रखी जा सके।

    अफ्रीका से उपहार में आया था शंकर

    शंकर को वर्ष 1996 में जिम्बाब्वे सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को उपहार में दिया था, इसलिए इसका नाम भी शंकर रखा गया। लेकिन ये भारत 1998 में लाया गया था। शंकर की साथी बंबई भी जिम्बाब्वे से दिल्ली चिड़ियाघर में लाई गई थी।

    लेकिन 2001 में बंबई की मृत्यु के बाद शंकर अकेला रह गया। अकेलेपन के कारण उसका व्यवहार आक्रामक हो गया और महावत को भी कई बार लात मारने की घटनाएं सामने आई थी।

    हाई कोर्ट भी शंकर का साथी ढूंढ़ने का दे चुका था आदेश

    दिल्ली हाई कोर्ट ने जुलाई 2022 में शंकर को एक मादा साथी देने का आदेश दिया था, ताकि उसके स्वास्थ्य में सुधार हो। चिड़ियाघर प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका को प्राथमिकता दी थी, जहां से उपयुक्त मादा हाथी लाने की योजना बनाई जा रही थी। लेकिन योजना पर अमल नहीं हो पाया।

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