पिछले महीने देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में आठ NCR के, गाजियाबाद रहा सबसे जहरीला; देखें पूरी लिस्ट
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के अनुसार, नवंबर में देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में आ ...और पढ़ें
-1765028235651.webp)
एनसीआर के अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। सेंटर फार रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से आठ एनसीआर के हैं। इनमें सबसे खराब हवा गाजियाबाद की रही, उसके बाद नोएडा का स्थान रहा। पिछले साल की तुलना में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, लेकिन अन्य नौ शहरों की हवा इस बार पिछले नवंबर की तुलना में अधिक खराब रही।
सीआरईए ने वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से प्राप्त पीएम 2.5 के आंकड़ों के आधार पर नवंबर माह की रिपोर्ट जारी की है। इसमें गाजियाबाद नवंबर में देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां पीएम2.5 का औसत मासिक स्तर 224 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता मानक (एनएक्यूएस) के निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बहुत अधिक है। शहर में 19 दिन ‘बहुत खराब’, 10 दिन ‘गंभीर’ और एक दिन ‘खराब’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता दर्ज हुई।
नोएडा, बहादुरगढ़, दिल्ली, हापुड़, ग्रेटर नोएडा, बागपत, सोनीपत, मेरठ और रोहतक भी शीर्ष दस प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। बहादुरगढ़ को छोड़कर इनमें से किसी भी शहर में एक भी दिन एनएक्यूएस मानक के भीतर वायु गुणवत्ता दर्ज नहीं हुई। चरखी दादरी, बुलंदशहर, जींद, मुजफ्फरनगर, गुरुग्राम, खुर्जा, भिवानी, करनाल, यमुनानगर और फरीदाबाद जैसे कई अन्य शहरों में भी पूरे महीने पीएम2.5 का स्तर मानक से ऊपर रहा।
दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर अक्टूबर की तुलना में दोगुना बढ़ा
नवंबर में दिल्ली का मासिक औसत पीएम2.5 स्तर 215 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ, जो अक्टूबर में दर्ज 107 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तुलना में लगभग दोगुना है। पूरे महीने दिल्ली में 23 दिन ‘बहुत खराब’, 6 दिन ‘गंभीर’ और एक दिन ‘खराब’ वायु गुणवत्ता वाले रहे।
वाहनों व अन्य स्रोतों से उत्सर्जन में लानी होगी कमी
सीआरईए के विश्लेषक मनोज कुमार ने कहा, “पराली जलाने में उल्लेखनीय कमी के बावजूद एनसीआर के 29 में से 20 शहरों में पिछले साल की तुलना में प्रदूषण स्तर अधिक रहा। इससे स्पष्ट है कि वाहनों, औद्योगिक इकाइयों, पावर प्लांट और अन्य दहन स्रोतों से होने वाला प्रदूषण बढ़ रहा है। जब तक क्षेत्रवार उत्सर्जन में कटौती नहीं की जाएगी, शहरों की हवा नहीं सुधरेगी।” नवंबर में पराली जलाने का औसत योगदान केवल 7 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले साल यह 20 प्रतिशत था। अधिकतम दैनिक योगदान भी 22 प्रतिशत रहा, जो पिछले साल के 38 प्रतिशत से काफी कम है।
राजस्थान के बाद हरियाणा के सबसे अधिक शहर प्रदूषित
राज्य स्तर पर राजस्थान में सबसे अधिक प्रदूषित शहर रहे। यहां के 23 शहरों की हवा एनएक्यूएस मानक से अधिक प्रदूषित रही। हरियाणा के 22 और उत्तर प्रदेश के 14 शहर भी इसी श्रेणी में रहे। मध्य प्रदेश व ओडिशा के नौ-नौ और पंजाब के सात शहरों में पीएम2.5 स्तर मानक से ऊपर पाया गया।
शिलांग की हवा सबसे साफ
मेघालय की राजधानी शिलांग नवंबर में भारत का सबसे स्वच्छ शहर रहा, जहां मासिक औसत पीएम2.5 स्तर केवल सात माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज हुआ। शीर्ष दस स्वच्छ शहरों में कर्नाटक के छह शहर शामिल हैं। मेघालय, सिक्किम, तमिलनाडु और केरल से एक-एक शहर इस सूची में है। पर्याप्त आंकड़ों वाले देश के 255 शहरों में से केवल 114 की वायु गुणवत्ता ही एनएक्यूएस के अनुरूप रही।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।