तनाव से हैं परेशान तो आयुर्वेद से करें उपचार... पांच मेडिकल काॅलेजों में शुरू होगी 'आयुष स्ट्रेस मैनेजमेंट ओपीडी
दिल्ली सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पांच मेडिकल कॉलेजों में आयुष स्ट्रेस मैनेजमेंट ओपीडी शुरू की जाएगी जहाँ आयुर्वेदिक होम्योपैथिक और यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से तनाव का प्रबंधन किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के बाद इस योजना को पूरे दिल्ली में विस्तारित किया जाएगा जिससे नागरिकों को समग्र स्वास्थ्य समाधान मिल सकेगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आधुनिक जीवनशैली में तनाव बढ़ने के साथ ही लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा रहा है। वर्ष 2015-16 में किए गए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में भारत में 10.6 वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित मिले थे।
वहीं राष्ट्रीय अध्ययनों के मुताबिक वर्तमान में देश की 15 प्रतिशत वयस्क आबादी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है। मानसिक विकार वाले 70 से 92 प्रतिशत लोगों को उचित उपचार नहीं मिल पाता हैं।
इस खाई को भरने की पहल दिल्ली में भी की जा रही है। इसके तहत पांच मेडिकल काॅलेजों में आयुष स्ट्रेस मैनेजमेंट ओपीडी शुरू होगी। इसके जरिए मानसिक तनाव से संबंधित समस्या की शीघ्र पहचान, समय रहते उपचार और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए आयुष उपचार सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से पूरे दिल्ली में लागू किया जाएगा। सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बिया कालेज एवं अस्पताल, नेहरू होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल, चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान, डाॅ. बीआर सूर मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल के साथ ही इहबास अस्पताल में ओपीडी सेवा की शुरुआत होगी।
आयुर्वेदिक औषधियां, होम्योपैथिक दवा, पंचकर्म, योग-ध्यान, प्राणायाम के साथ ही जीवनशैली परामर्श से चिंता, थकान, अनिद्रा और मानसिक तनाव आदि का उपचार किया जाएगा।
प्रत्येक मंगलवार और बृहस्पतिवार को नियमित ओपीडी के समय पर मरीज इसका लाभ उठा सकेंगे। पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद सभी 11 जनपदों में इसका विस्तार भी किया जाएगा।
आयुष स्ट्रेस मैनेजमेंट ओपीडी के माध्यम से दिल्ली के प्रत्येक नागरिकों को भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को जोड़ते हुए एक समग्र, प्रभावी और सुलभ समाधान उपलब्ध करा रहे हैं। यह पहल न केवल सरकारी अस्पतालों पर मरीजों के बोझ को कम करेगी, बल्कि लोगों के अधिक स्वस्थ, संतुलित और तनाव-मुक्त जीवन जीने में भी सक्षम बनाएगी।
- डाॅ. पंकज सिंह, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री-दिल्ली
आबादी के मुताबिक एक से भी कम मनोचिकित्सक
भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का बोझ प्रति 10 हजार की आबादी पर 2443 विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) है। वहीं प्रति एक लाख की जनसंख्या पर आयु-समायोजित आत्महत्या दर 21.1 प्रतिशत है।
इंडियन जर्नल आफ साइकाइट्री के अनुसार भारत में प्रति एक लाख लोगों पर 0.75 मनोचिकित्सक हैं , जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति एक लाख की आबादी पर कम से कम 3 मनोचिकित्सकों की सिफारिश करता है।
खराब मानसिक स्वास्थ्य से नुकसान
- कार्यस्थल पर प्रदर्शन व कार्यकुशलता का कम होना।
- पारस्परिक संबंधों, आत्मविश्वास और सामाजिक संबंधों का प्रभावित होना।
- दैनिक जीवन में सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके होते हैं प्रभावित।
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