Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ज्ञानवापी विवाद: ASI अधिकारियों ने नियम उल्लंघन का लगाया आरोप, PMO में शिकायत

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 04:24 PM (IST)

    वाराणसी के ज्ञानवापी ढांचे के सर्वेक्षक आलोक त्रिपाठी को सेवा विस्तार देने पर विवाद गहरा गया है। एएसआई के कई अधिकारी इस विस्तार के खिलाफ हैं उनका कहना है कि नियमों का उल्लंघन हुआ है क्योंकि विभाग ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी की मंजूरी के बिना ही आदेश जारी कर दिया है। कुछ पूर्व अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय से इसकी शिकायत भी की है।

    Hero Image
    वाराणसी के ज्ञानवापी ढांचे के सर्वेक्षक आलोक त्रिपाठी को सेवा विस्तार देने पर विवाद गहरा गया है। फाइल फोटो

    वीके शुक्ला, नई दिल्ली। वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी ढांचे का सर्वेक्षण करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के सेवा विस्तार को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इस अधिकारी को तीसरी बार सेवा विस्तार दिया गया है। एएसआई अधिकारी इस विस्तार के खिलाफ लामबंद हैं और उनका कहना है कि इस मामले में नियमों को दरकिनार कर विस्तार दिया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उनके अनुसार, अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी को सेवा विस्तार केवल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी ही दे सकती है। लेकिन विभाग ने अपने स्तर पर आदेश जारी कर सेवा विस्तार दे दिया है, जबकि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति ने इसे मंजूरी नहीं दी है।

    अधिकारी का नाम आलोक त्रिपाठी है, जो 60 वर्ष पूरे करने के बाद 31 अगस्त को अतिरिक्त महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।

    त्रिपाठी पहले एएसआई में थे और उनका विषय जल पुरातत्व है। लेकिन वे किसी अन्य संस्थान में चले गए थे, पांच साल पहले प्रतिनियुक्ति पर एएसआई में वापस लौटे थे, उस समय उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी और नियुक्ति पत्र में कहा गया था कि यदि संस्थान चाहे तो दो साल का और विस्तार दिया जा सकता है।

    इस तरह जब एएसआई ने विस्तार दिया तो उनकी प्रतिनियुक्ति का पांच साल का कार्यकाल 12 अप्रैल 2025 को पूरा हो गया, उस समय संस्कृति मंत्रालय ने उन्हें तीन महीने का विस्तार दिया था, जो 12 जुलाई को समाप्त हो गया, 13 जुलाई से 31 अगस्त तक का एक और विस्तार दिया गया, यह भी अब पूरा हो गया है और त्रिपाठी ने भी 60 साल पूरे कर लिए हैं।

    एएसआई ने अब उन्हें फिर से तीन महीने का विस्तार दिया है, अब उनका विभाग बदल दिया गया है। पद अपर महानिदेशक का है, लेकिन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण-क्षमता निर्माण का प्रभार दिया गया है।

    सूत्रों के अनुसार, इस पद पर 56 वर्ष की आयु तक के अधिकारी को ही नियुक्त किया जा सकता है, जबकि आलोक त्रिपाठी सेवानिवृत्त हो चुके हैं व्यवस्था के तहत, एएसआई यूपीएससी को पत्र भेजकर इस पद को भरने का अनुरोध करता है।

    यूपीएससी एक विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित करता है और फिर उपयुक्त उम्मीदवार को इस पद पर नियुक्त करता है। लेकिन यह पहली बार है कि इस प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी पूर्व अधिकारी को सीधे सेवा विस्तार दे दिया गया हो।

    यह आदेश जारी करने वाले एएसआई निदेशक राजेंद्र कुमार खिंची ने कहा कि उनके पास फाइल आई थी, जिसके आधार पर उन्होंने यह आदेश जारी किया है। सूत्रों का कहना है कि यह आदेश वैध नहीं है। इस तरह, किसी भी अधिकारी को सेवानिवृत्ति के बाद सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता।

    इस स्तर के अधिकारी को केंद्र सरकार में सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) भारत सरकार के अंतर्गत एक उच्च स्तरीय समिति है जो केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में प्रमुख पदों पर वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेती है। एसीसी का गठन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होता है। एएसआई के कुछ पूर्व अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय से इसकी शिकायत की है।

    त्रिपाठी की नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर, एएसआई प्रवक्ता नंदिनी भट्टाचार्य ने बताया कि आलोक त्रिपाठी को एएसआई में 2 अप्रैल से अगस्त तक का सेवा विस्तार दिया गया है।

    अब मंत्रालय ने अनुसंधान एवं प्रशिक्षण क्षमता निर्माण के पद पर 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर 3 महीने का सेवा विस्तार दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि तीनों विस्तारों के लिए एसीसी की मंज़ूरी अभी लंबित है। यह पद किस श्रेणी में आता है, यह पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि यह एक चयनात्मक पद है।

    comedy show banner
    comedy show banner