मॉनीटरिंग सिस्टम बना दिल्ली में पहले इन वाहनों पर हो कार्रवाई... एक्सपर्ट ने कहा- उम्र के आधार पर बैन सही नहीं
पर्यावरण विशेषज्ञों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि वाहनों को केवल उम्र के आधार पर प्रतिबंधित करना उचित नहीं है। सीएसई ने निगरानी प्रणाली की आवश्यकता जताई है ताकि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान हो सके। विशेषज्ञों ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और उत्सर्जन मानकों को सख्त करने की बात कही है ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। उम्रदराज वाहनों को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत पर विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी अलग राय व्यक्त की है। इस मत पर सभी सहमत हैं कि केवल आयु के आधार पर किसी वाहन को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए। अन्य सभी पहलुओं पर भी गौर करना चाहिए।
सेंटर फाॅर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। लेकिन उनका कहना है कि पुराने वाहनों के लिए कारगर निगरानी सिस्टम होना चाहिए।
ऐसी निगरानी प्रणाली होनी चाहिए, जिससे हवा में जहर घोलने वाले वाहनों की पहचान हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि व्यावसायिक वाहनों और ट्रकों पर सबसे पहले कार्रवाई होनी चाहिए। निजी वाहनों पर तो सबसे आखिर में पहुंचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ हवा के अधिकार पर अपने दशकों लंबे अभियान में, सीएसई ने कभी भी उम्र के आधार पर निजी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की सिफारिश नहीं की है। इसके बजाय, हमने वाहनों के लिए ईंधन और उत्सर्जन मानकों में सुधार की सिफारिश की है।
उन्होंने कहा, यह सही है कि वाहन, जिनमें निजी गाड़ियां भी शामिल हैं, हवा को काफी अधिक प्रदूषित कर रही हैं। ट्रैफिक जाम राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता को खराब करने का कारण बनता है।
एनवायरोकैटालिस्ट्स के संस्थापक एवं प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि वर्तमान में पुराने वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध को केवल उनकी आयु के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए।
यह प्रतिबंध वास्तव में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के स्तर पर आधारित है। चूंकि ये सभी पुराने वाहन बीएस चार मानदंडों से पहले के हैं और इनका उत्सर्जन नए बीएस चार और इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में कहीं अधिक है।
इसलिए परिवहन क्षेत्र से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाना एक तार्किक निर्णय है।
लेकिन यह भी सच है कि केवल पुराने निजी वाहनों को नए वाहनों से बदल देने से प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा। असली बदलाव तब आएगा जब निजी वाहनों के उपयोगकर्ता सार्वजनिक परिवहन की ओर बढ़ेंगे।
यही वह व्यवस्थित और व्यापक परिवर्तन है जो स्रोत पर ही प्रदूषण उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा। इसके साथ ही, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों, उद्योगों या बिजली संयंत्रों के लिए उत्सर्जन मानदंडों में ढील देना, स्वच्छ हवा के हमारे सपने को और दूर ले जाएगा।
हमें सभी प्रदूषण फैलाने वाले क्षेत्रों में स्रोत पर ही उत्सर्जन को कम करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। इसमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, संसाधन उपयोग में दक्षता लाना, प्रदूषण को स्रोत पर ही रोकना और स्वच्छ ईंधन एवं विकल्पों की ओर बढ़ना शामिल है। केवल कागजी कार्रवाई या आधे-अधूरे उपायों से काम नहीं चलेगा।
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