'जब सत्ता पक्ष ने ही कर दिया था हमारे काम रोको प्रस्ताव का समर्थन', सांसद बिधूड़ी ने बताए दिल्ली विधानसभा के अनसुने किस्से
1993 में 41 साल बाद दिल्ली विधानसभा के गठन के समय सदन के सदस्य रामवीर सिंह बिधूड़ी ने बजट सत्र के चार दिनों तक चलने और 20 से ज़्यादा बैठकों का जिक्र किया। उन्होंने जनता दल के सिर्फ़ पांच विधायकों के साथ काम रोको प्रस्ताव लाने और कांग्रेस के समर्थन का भी उल्लेख किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 41 साल बाद जब 1993 में दिल्ली विधानसभा का गठन हुआ, तब मैं भी उस सदन का सदस्य था। उस समय के कई रोचक पहलू हैं, लेकिन मैं दो पहलुओं पर ज़रूर ध्यान दिलाना चाहूंगा, पहला यह कि उस विधानसभा सत्र में बजट सत्र पूरे चार दिनों तक चला, 20 से ज़्यादा बैठकें हुईं।
दिल्ली विधानसभा के इतिहास का यह सबसे बड़ा सदन था, उस समय सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी 70 सदस्यों को अपनी समस्याएँ दो बार से ज़्यादा रखने का अवसर मिला। सदन बिना किसी रुकावट के चला। दूसरा रोचक पहलू यह है कि मैं उस समय जनता दल विधान सभा का नेता था, हमें मिलाकर हमारे सिर्फ़ पाँच विधायक थे, हम काम रोको प्रस्ताव लाते थे, जिसके लिए 14 विधायकों का समर्थन अनिवार्य होता है।
कांग्रेस कई बार हमारा समर्थन करती थी, एक बार तो ऐसा हुआ कि सत्ता पक्ष ने ही हमारे कार्य स्थगन प्रस्ताव का समर्थन कर दिया, मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने सदन में खड़े होकर कहा कि हम विपक्ष के इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और इस तरह सत्ता पक्ष के समर्थन से हमारा प्रस्ताव पारित हो गया और सदन में इस पर लंबी चर्चा हुई।
दरअसल हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने दिल्ली को पानी की आपूर्ति रोक दी थी, जिसके संबंध में मैंने सदन में प्रस्ताव रखा, मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि कार्य स्थगन प्रस्ताव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उस दिन सदन में कोई अन्य गतिविधि नहीं होती, पूरा दिन इसी मुद्दे पर चर्चा होती है।
नोट- बीजेपी सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी का बयान
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