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    Delhi Flood Alert: धराली जैसे हालात के खतरे में यमुना खादर, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 09:01 AM (IST)

    उत्तराखंड के धराली जैसी स्थिति दिल्ली में यमुना खादर के साथ हो सकती है। यमुना के क्षेत्र में अवैध निर्माण के कारण नदी का रास्ता बाधित हो रहा है। दिल्ली सरकार की रिपोर्ट के अनुसार खादर क्षेत्र में सात अवैध कॉलोनियां बसी हैं जो यमुना का रुख बदल रही हैं।

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    यमुना बाजार क्षेत्र में भरे पानी के बीच सामान सुरक्षित स्थान पर ले जाते लोग। ध्रुव कुमार

    आशीष गुप्ता, पूर्वी दिल्ली। हाल ही में उत्तराखंड के धराली कस्बा में क्या हुआ सबने देखा। पहाड़ी नदी खीर गंगा ने जब अपना पुराना रूप लिया तो तबाही मच गई। प्रकृति अपने स्वरूप में लौटती है तो ऐसा ही तो होता आया है। लेकिन हम इंसान नदी के रास्ते में जाकर बस जाते हैं और जिनकी जिम्मेदारी रोकने की है, उन्हें सिर्फ वहां बसने वालों में वोट नजर आते हैं। हश्र वही होता है जो धराली के साथ हुआ। 

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    वहीं, दिल्ली की चौखट पर भी बीते दो-तीन सालों से यमुना नदी बार-बार ऐसे ही संकेत दे रही है। यहां नदी के क्षेत्र में हुए निर्माण की वजह से रुकावटें पैदा होने पर पानी रास्ता भटक कर उन क्षेत्रों का रुख कर रहा है, जहां उसे नहीं जाना चाहिए। दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, सात अवैध कॉलोनियां खादर क्षेत्र में ही बसी हैं, जो यमुना का रुख बिगाड़ने के लिए काफी हैं। वैध करार देकर खादर में किए गए कई निर्माण से भी नदी का स्वरूप बिगड़ा है। जाहिर है, राजनीतिक महत्वकांक्षा इसके लिए जिम्मेदार है।

    सत्ता में रहे हर दल ने दशकों से वोट बैंक के चक्कर में यमुना के सीने पर लोगों को बसने दिया। और स्वाभाविक है इसका खामियाजा दिल्लीवासियों को ही भुगतना होता है। यमुना में उफान आने पर खादर में बसे लोगों को निकालने, उनके लिए राहत शिविर बनाने, भोजन की करने में धन और संसाधन झोंकने पड़ते हैं। चूंकि हमेशा ही सत्ता पक्ष को इस बसावट में सिर्फ वोट बैंक दिखता है इसलिए बाढ़ जैसे हालात बनने पर उनके लिए कुछ सुविधा कर दी जाती हैं। 

    सात कॉलोनी, तीन हजार पक्के मकान  

    वजीराबाद से ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर में यमुना का 9,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल है। दिल्ली में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा लंबे समय तक सत्ता संभाली। भाजपा और आप ने भी सरकार में उचित समय बिताया। अब फिर से भाजपा सत्ता में है। हर दल की सरकार में यमुना में अतिक्रमण और अवैध बसावट का सिलसिला जारी रहा।

    वहीं, नदी का फैलाव क्षेत्र तो पूरी तरह अवैध कॉलोनियों का गढ़ बन गया। इन्हें हटाने की दिखावटी कोशिशें हुईं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाया गया। उसी का नतीजा है कि यमुना बाजार, मोनेस्ट्री, विश्वकर्मा कालोनी समेत सात रिहायशी क्षेत्र यमुना खादर क्षेत्र में बस गए। 

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    यमुना बाजार में ज्यादातर वही परिवार बसे जो वहां घाट पर पूजा-पाठ कराते हैं। मोनेस्ट्री मार्केट बन गया। इन सात कॉलोनियों में तीन हजार से अधिक पक्के मकान बने हैं और 22 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं। खादर क्षेत्र में झुग्गियों की तो गिनती ही नहीं है। मास्टरप्लान-2041 के ड्राफ्ट के अनुसार, इस वक्त 35 प्रतिशत खादर क्षेत्र अतिक्रमण की जद में है।

    621 हेक्टेयर खादर क्षेत्र मुक्त कराने का दावा

    डीडीए का दावा है कि उसने दो वर्षों में 621 हेक्टेयर (1,536 एकड़) खादर क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराया। इसमें असिता ईस्ट, मयूर नेचर पार्क, जोगा बाई एक्सटेंशन, वासुदेव घाट, असिता वेस्ट, यमुना वनस्थली समेत कई स्थानों से झुग्गी, धार्मिक ढांचा को हटाने के साथ खेतों को उजाड़ने का जिक्र है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इनमें से काफी स्थानों पर दोबारा बसावट हो चुकी है।

    मयूर विहार फेज-एक के सामने मयूर नेचर पार्क की भूमि पर ढाई हजार से अधिक झुग्गियां हैं। उन्हीं लोगों के लिए इन दिनों राहत शिविर लगा रखे हैं। अगर यमुना का पानी अचानक अिधक बढ़े तो अवैध कॉलोनियों के लिए धराली जैसे खतरे की आशंका है।

    दिल्ली में यमुना का जल स्तर बढ़ने से जो हालात पैदा हुए, उसके लिए खादर में हुए अवैध निर्माण जिम्मेदार हैं। खादर नदी का बाढ़ क्षेत्र है, उसे कोई घेर लेगा तो निश्चित रूप से पानी बाहर निकलेगा। क्योंकि अवैध निर्माण से नदी का रास्ता रुकता है। फीट पानी अपनी दूसरी जगह बनाता है। - डा. अनिल गुप्ता, पर्यावरणविद्

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