सिख विरोधी दंगों के छह मामलों में फिर से अपील करेगी दिल्ली सरकार, मिलीभगत का लगाया आरोप
दिल्ली सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में छह आरोपितों को बरी किए जाने के फैसलों को चुनौती देने का फैसला किया है। सरकार का आरोप है कि अभियोजन पक्ष की आरोपितों से मिलीभगत थी। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर अपील दायर करने का निर्देश दिया है। नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार दंगों में 2733 लोग मारे गए थे।

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह 1984 के सिख विरोधी दंगों में छह आरोपितों को बरी किए जाने के फैसलों को चुनौती देते हुए अपील दायर करेगी। अदालत शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व सदस्य एस गुरलाद सिंह कहलों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 2018 में शीर्ष अदालत ने कहलों की याचिका पर उन 199 मामलों की जांच के लिए एक एसआइटी का गठन किया था, जिनकी जांच बंद कर दी गई थी।
दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सोमवार को जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ को बताया कि बरी किए जाने वाले फैसलों को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का निर्णय लिया गया है। दलील पर गौर करते हुए पीठ ने दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर अपील दायर करने का निर्देश दिया और कहा कि विशेष अनुमति याचिकाओं को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखा जाए, ताकि उन्हें वर्तमान मामले के साथ संलग्न किया जाए।
अभियोजन पक्ष की इस मामले में आरोपितों से मिलीभगत के आरोप
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कहलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कहा कि निर्णयों से पता चलता है कि अभियोजन पक्ष की इस मामले में आरोपितों के साथ मिलीभगत थी। उन्होंने कहा, ये सामान्य मामले नहीं हैं। इसमें मामले को छिपाया गया और राज्य ने उचित तरीके से मुकदमा नहीं चलाया। ये मामले मानवता के खिलाफ अपराध हैं। इससे पहले अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में आरोपितों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर नहीं करने पर दिल्ली पुलिस से सवाल किया था और कहा था कि अभियोजन गंभीरता से किया जाना चाहिए, सिर्फ दिखावे के लिए नहीं।
दंगों में 2733 लोग मारे गए थे
बताते चलें, साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और सिख समुदाय के लोगों की हत्याएं हुई थीं। हिंसा की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दंगों में 2,733 लोग मारे गए थे। इस सिलसिले में दिल्ली में 587 प्राथमिकियां दर्ज की गईं। कुल मामलों में से लगभग 240 मामलों को पुलिस ने बंद कर दिया और लगभग 250 मामलों में लोगों को बरी कर दिया गया।
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