ऐश्वर्या राय बच्चन के फोटो, वीडियो और नाम के गलत इस्तेमाल पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन के चित्रों और नाम के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाई है। अदालत ने कहा कि किसी की निजी पहचान का अनधिकृत उपयोग निजता के अधिकार का उल्लंघन है और सम्मान के साथ जीने के अधिकार को कमजोर करता है। अदालत ने गूगल को 72 घंटे के भीतर आपत्तिजनक यूआरएल हटाने का निर्देश दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली । फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन के चित्रों, नाम और वीडियो के अनुचित उपयोग पर अंतरिम रोक लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी व्यक्ति की निजी पहचान का अनधिकृत उपयोग न सिर्फ निजता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह सम्मान के साथ जीने के अधिकार को कमजोर करता है।
न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने विभिन्न संस्थाओं को एआइ सहित अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके अभिनेत्री के नाम और तस्वीरों जैसी व्यक्तिगत विशेषताओं का दुरुपयोग करने से रोक दिया।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि दुरुपयोग से न केवल ऐश्वर्या को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि उनकी गरिमा, प्रतिष्ठा और साख को भी ठेस पहुंच रही है। इसी तरह की एक याचिका ऐश्वर्या के पति अभिषेक बच्चन ने भी दायर की है और अदालत ने बुधवार को इस पर भी सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित करने की बात कही थी।
72 घंटे में URL हटाने का निर्देश
अदालत ने ऐश्वर्या के पक्ष में विभिन्न प्रतिवादी संस्थाओं द्वारा उनकी सहमति के बिना उनकी निजी पहचान का दुरुपयोग करने के खिलाफ दायर मुकदमे में एकपक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा पारित की। अदालत ने गूगल को मुकदमे में पहचाने गए यूआरएल को 72 घंटे के भीतर हटाने का निर्देश दिया। साथ ही इसके मालिकों, संचालकों और विक्रेताओं की सभी बुनियादी ग्राहक जानकारी एक सीलबंद लिफाफे या पासवर्ड से सुरक्षित दस्तावेज के साथ अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया।
सूचना मंत्रालय को भी दिए आदेश
अदालत ने इसके अलावा इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सात दिन के भीतर सभी यूआरएल को ब्लाक और निष्क्रिय करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने के लिए भी आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि प्रतिष्ठित हस्ती होने के कारण ऐश्वर्या राय ने विभिन्न ब्रांडों के लिए के ब्रांड अंबेसडर के रूप में काम किया है, यही वजह है कि जनता उनके द्वारा समर्थित ब्रांडों पर भरोसा करती है।
अदालत ने कहा कि जब किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की पहचान का उपयोग उसकी सहमति या अनुमति के बिना किया जाता है, तो इससे न केवल संबंधित व्यक्ति को व्यावसायिक नुकसान हो सकता है, बल्कि उसके सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार पर भी असर पड़ सकता है। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत आंखें मूंद नहीं सकती।
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