दिल्ली HC की LG की अधिसूचना पर कड़ी टिप्पणी; सवाल उठाते हुए कहा-निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से है समझौता
दिल्ली हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस थानों को पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज करने के लिए नामित करना निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा से समझौता है। अदालत ने पूछा कि पुलिस अधिकारियों के बयान के लिए विशेष रूप से पुलिस थानों को ही क्यों नामित किया गया? अदालत ने निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर भी सवाल उठाया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पुलिस थानों को पुलिसकर्मियों के लिए वीडिया काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य व गवाही देने के लिए नामित करने से जुड़ी उपराज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह अधिसूचना प्रथम दृष्टया निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा से समझौता करती है।
अदालत ने कहा कि मामला यह नहीं है कि किसी स्थान को नामित करना उपराज्यपाल के अधिकार में है या नहीं, मुद्दा यह है कि पुलिस अधिकारियों के बयान के लिए विशेष रूप से पुलिस थानों को ही क्यों नामित किया गया?
अदालत ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार अनुच्छेद 21 से प्राप्त होता है। यह प्रविधान अनुच्छेद 14 के अंतर्गत आ भी सकता है और नहीं भी, यह तर्क का विषय है। निष्पक्ष सुनवाई क्या है?
अदालत ने सवाल उठाया कि क्या अभियोजन पक्ष के गवाहों को अपने स्थानों से गवाही देने की अनुमति देकर किसी अभियुक्त के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से समझौता नहीं किया जा रहा है? याचिका में 13 अगस्त को उपराज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना को अधिवक्ता राज गौरव ने चुनौती दी गई है।
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