दिल्ली के सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के ध्वस्तीकरण का रास्ता साफ, 12 अक्टूबर तक खाली करने होंगे फ्लैट्स
दिल्ली हाईकोर्ट ने मुखर्जी नगर के सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को ध्वस्त करने का रास्ता साफ़ कर दिया है। कोर्ट ने निवासियों को 12 अक्टूबर तक फ्लैट खाली करने की मोहलत दी है और डीडीए को नए फ्लैट मिलने तक किराया देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि खतरनाक भवनों में रहना जोखिम भरा है। डीडीए को निवासियों की मदद के लिए कैंप कार्यालय लगाने का निर्देश दिया गया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का रास्ता दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए अब तक भवन नहीं खाली करने वाले भवन मालिकों ने 12 अक्टूबर तक की मोहलत दी है।
मुख्य पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया कि जब तक फ्लैट मालिकों को फिर से बनकर तैयार होने वाले नए फ्लैट नहीं मिल जाते, तब तक वह उन्हें 10 प्रतिशत सालाना बढ़ोतरी के साथ किराए का भुगतान किया जाए।
सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि खतरनाक हो चुके भवनों में बने रहना निवासियों के लिए जोखिम भरा होगा। भवन मालिकों व डीडीए की याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने डीडीयू को यह निर्देश दिया कि दो दिनों के भीतर अपार्टमेंट परिसर में एक कैंप आफिस लगाया जाए, ताकि निवासियों को अपने फ्लैट खाली करने और सौंपने से संबंधित औपचारिकताओं को पूरा करने में मदद मिल सके।
वहीं, अदालत ने शौचालयाें में लगाए गए सामान व बिजली उपकरणों सहित अपना सामान ले जाने की स्थानीय निवासियों को अनुमति दे दी।
डीडीए ने एकल पीठ के दिसंबर-2024 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एजेंसी के बढ़े हुए फ्लोर एरिया रेशियो का इस्तेमाल करके 168 अतिरिक्त फ्लैट बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।
कोर्ट ने टावरों को तोड़ने और फिर से बनाने के लिए यह कहते हुए मंजूरी दी थी कि इमारत रहने के लिए खतरनाक और असुरक्षित है। एकल पीठ ने निवासियों को तीन महीने के भीतर फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया था।
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