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    ऑनलाइन पार्ट-टाइम नौकरी घोटाला में आरोपित को अग्रिम जमानत देने से हाई कोर्ट ने किया इनकार

    Updated: Sun, 18 May 2025 04:21 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 17.95 लाख के ऑनलाइन पार्ट-टाइम नौकरी घोटाले में फिनटेक रैपीपे के एजेंट शमीख शाहबाज शेख को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदाल ...और पढ़ें

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    ऑनलाइन पार्ट-टाइम नौकरी घोटाला में आरोपित को अग्रिम जमानत देने से हाई कोर्ट का इनकार।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 17.95 लाख के ऑनलाइन पार्ट-टाइम नौकरी घोटाला मामले में आरोपित फिनटेक रैपीपे के एजेंट शमीख शाहबाज शेख को अग्रिम जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि वित्तीय लेनदेन से जुड़े मामलों में साजिश की पूरी जानकारी को उजागर करने के लिए पूछताछ की जरूरत है।

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    कोर्ट ने कहा कि जब आरोपित कानून से बच रहे हों या कानूनी प्रक्रियाओं में बाधा डाल रहे हों तो ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसे वॉट्सऐप और टेलीग्राम के जरिए निवेश करने और उसके बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर करने को कहा गया था। बाद में, धनराशि का एक हिस्सा एक रैपीपे एजेंट के पास पाया गया।

    याचिकाकर्ता आवेदक ने दावा किया कि जांच अधिकारी की स्थिति रिपोर्ट में उसे आरोपित के रूप में शामिल किया गया है, लेकिन मामले में उसकी भूमिका व इससे वित्तीय लाभ लेने का आरोप स्थापित नहीं किया जा सका है।

    आवेदक सीधे धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़ा हुआ है: होईकोर्ट

    वहीं, अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कहा कि आवेदक सीधे धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़ा हुआ है और वह अपराध की आय को रूट करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रैपीपे खाते का एजेंट है। अदालत ने नोट किया कि आवेदक के खिलाफ आरोप एक गंभीर और संगठित साइबर धोखाधड़ी से संबंधित हैं।

    अदालत ने कहा कि जांच से पता चलता है कि आवेदक रैपीपे एजेंट के रूप में काम कर रहा था और उसका वर्चुअल अकाउंट 29 अलग-अलग शिकायतों की जांच का विषय है। इसके अलावा आइपी लाग, वॉट्सऐप चैट और आवेदक और सह-आरोपित के बीच फंड के लेनदेन से कनेक्शन स्थापित किए गए हैं।

    आवेदक समन के बावजूद भी जांच में शामिल नहीं हुआ

    कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में आवेदक समन के बावजूद भी जांच में शामिल नहीं हुआ और उसने जांच में सहयोग नहीं किया। उक्त तथ्यों को देखते हुए पीठ ने कहा कि आवेदक पर उसके खाते के दुरुपयोग के गंभीर आरोप हैं और उसकी गहन जांच की आवश्यकता है। इस स्तर पर आरोपित को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है और उसकी याचिका खारिज की जाती है।