दिल्ली HC का बड़ा फैसला: एयरोसिटी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन डायल की जिम्मेदारी, कहा-एयरपोर्ट क्षेत्र MCD का नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) की याचिका स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) एयरोसिटी समेत एयरपोर्ट जोन में ठोस कचरा प्रबंधन का दावा नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन एमसीडी के अनिवार्य दायित्वों में शामिल नहीं है। डायल ने एमसीडी के टेंडर नोटिस को चुनौती दी थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की निविदा को चुनौती देने वाली दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (डायल) की याचिका को स्वीकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन (डीएमसी) अधिनियम के तहत एमसीडी एयरोसिटी सहित एयरपोर्ट जोन में उत्पन्न ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकता।
विवेकाधीन दायित्वों में सूचीबद्ध नहीं
अदालत ने कहा कि डीएमसी अधिनियम के प्रविधानों के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एमसीडी के अनिवार्य या विवेकाधीन दायित्वों में सूचीबद्ध नहीं है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि एमसीडी की ओर से वर्तमान में लागू किसी अन्य कानून का हवाला नहीं दिया गया है, जिससे पता चलता है कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नगर निकाय का एकमात्र अधिकार क्षेत्र और कार्य है।
नोटिस को चुनौती दी
डायल ने 28 नवंबर 2024 के एमसीडी टेंडर नोटिस में हवाई अड्डा टर्मिनल, एयरोसिटी आदि को शामिल करने करने के नोटिस को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा कि निश्चित तौर पर एमसीडी डीएमसी अधिनियम में परिभाषित नगरपालिका क्षेत्र में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य कर रही है और आगे भी करती रहेगी, लेकिन जहां तक हवाई अड्डा स्थल का संबंध है, एमसीडी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकती।
2007 से यह कार्य कर रहा
एमसीडी ने एक निविदा जारी कर नजफगढ़ क्षेत्र में सूखे ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण के आधार पर एक एजेंसी के चयन हेतु निविदा आमंत्रित की थीं। डायल ने एमसीडी को अपने निविदा सूचना से हवाई अड्डा क्षेत्र को बाहर करने का निर्देश देने की मांग की।
डायल ने तर्क दिया कि उसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के साथ अपने संचालन, प्रबंधन और विकास समझौते के तहत इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है और वह 2007 से यह कार्य कर रहा है।
डायल की याचिका को स्वीकार किया
डायल ने तर्क दिया कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अनुसार, वह हवाई अड्डे स्थल पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य विशेष रूप से करता है।
हालांकि, एमसीडी ने कहा कि वह दिल्ली में हवाई अड्डे सहित, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य करने वाला एकमात्र स्थानीय निकाय है, और एयरपोर्ट पर ठोस अपशिष्ट का उसका विशेष अधिकार है।
हालांकि, कोर्ट ने डायल की याचिका को स्वीकार करते हुए एमसीडी की उस निविदा नोटिस को रद कर दिया, जिसके अंतर्गत एयरोसिटी भी उसके दायरे में आती थी।
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