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    कोरोना में जान गंवाने वाले शिक्षक के परिवार को मिलेगा मुआवजा, दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 08:07 AM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि कोरोना महामारी में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले एमसीडी स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल शिवनाथ प्रसाद के परिवार को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए। कोर्ट ने कहा कि कोरोना के दौरान ड्यूटी करते हुए संक्रमित होने से हुई मौत को नकारा नहीं जा सकता।

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    दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निठारी स्थित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल शिवनाथ प्रसाद के परिवार को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने का निर्देश दिया है, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा दी थी।

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    मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अदालत को इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि अपीलकर्ता के दिवंगत पति की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी करते समय कोरोना से संक्रमित होने के कारण हुई।

    अदालत ने निठारी स्थित एमसीडी प्राइमरी बॉयज स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा 24 अप्रैल, 2023 को जारी एक पत्र की जांच की, जिसमें संकेत दिया गया था कि पूर्व प्रिंसिपल कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी पर तैनात थे।

    उन्होंने कोरोना के टीके लगवाने से संबंधित कार्य किया था। अदालत ने मृतक की पत्नी द्वारा एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार कर ली। याचिका में कहा गया है कि शिवनाथ प्रसाद मई 1993 में दिल्ली सरकार में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे और अपनी मृत्यु के समय वे एमसीडी प्राइमरी बॉयज़ स्कूल, निठारी के प्रधानाचार्य थे।

    याचिका में कहा गया है कि मई 2020 में दिल्ली सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि कोरोना महामारी के दौरान ड्यूटी के दौरान कोरोना महामारी से संक्रमित होने से मरने वाले कर्मचारी-अधिकारी के परिवार को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

    याचिका में कहा गया है कि अप्रैल 2021 में उनके पति कोरोना महामारी के दौरान तैनात थे और 24 अप्रैल 2021 को वे कोरोना से संक्रमित हो गए। इसके बाद 28 अप्रैल 2021 को उनकी मृत्यु हो गई।

    संबंधित शिक्षा उपनिदेशक ने बताया कि महिला की अनुग्रह राशि के लिए दायर फाइल में कुछ आपत्तियां थीं और राशि स्वीकृत नहीं हो सकी। महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, लेकिन एकल पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

    एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए, मुख्य पीठ ने कहा कि ऐसी लाभकारी नीतियों के तहत आवेदनों की जाँच करते समय संकीर्ण दृष्टिकोण से पूरी तरह बचना चाहिए।

    हालांकि ऐसे आवेदनों की जाँच करने वाले अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे उनकी सावधानीपूर्वक जाँच करें, लेकिन ऐसी नीतियों के पीछे की मंशा को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।

    इस टिप्पणी के साथ, अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह स्कूल प्रिंसिपल के अप्रैल 2023 के पत्र पर विचार करने के बाद महिला के आवेदन पर कार्रवाई करे और आठ सप्ताह के भीतर अनुग्रह राशि का भुगतान करे।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि आठ सप्ताह के भीतर राशि जारी नहीं की जाती है, तो अधिकारियों को छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।